एक अध्ययन में इस बारे में किया गया आकलन
बर्लिन। वैज्ञानिकों ने कोरोना वैक्सीन को नियमित तौर पर अपडेट करने की जरूरत पड़ सकने की बात कही है क्योंकि वायरस के नये स्वरूप सामने आ रहे हैं। इस बारे में एक अध्ययन में आकलन किया गया है। इससे जुड़े अनुसंधान में बर्लिन में चैरिटी-यूनिवर्सिटैट्समिडि के विषाणु वैज्ञानिकों ने चार ‘कॉमन कोल्ड’ (सामान्य ज़ुकाम) कोरोना वायरसों, खासकर, 229 और ओसी43 वायरसों के अनुवांशिक परिवर्तन का अध्ययन किया।
उन्होंने इन कोरोना वायरसों के स्पाइक प्रोटीन में बदलावों का पता लगाया। अध्ययन की प्रथम लेखिका वेंडी के जो ने बताया कि ये कोरोना वायरस भी इंफ्लुएंजा की तरह ही रोग प्रतिरोधक क्षमता से बच सकते हैं।अध्ययन के सह लेखल जेन फ्लिक्स ड्रेग्ज़लर ने कहा कि सार्स-कोव-2 की आनुवांशिकी में तेज बदलाव होने की वजह से ही दुनिया भर में वायरस के विभिन्न स्वरूप सामने आ रहे हैं।
ड्रेग्जलर ने कहा, “ हमारा मानना है कि कोविड-19 टीकों की महामारी के दौरान नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर उसे अपडेट करना चाहिए।” वैज्ञानिकों ने कहा कि अन्य कोरोना वायरसों की तुलना में नोवल कोरोना वायरस में बदलावों की गति अधिक है।

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