नई दिल्ली। अब सामने आ रहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण जितना फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है उतना ही शरीर के अन्य हिस्सों पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में धुंधला दिखने या फिर सिर दर्द की शिकायत बढ़ती जा रही है। कोरोना मरीजों के साथ ही जो लोग पिछले काफी समय से घर में बैठकर काम कर रहे हैं, उनमें भी आंखों को लेकर समस्या बढ़ती जा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक पिछले साल की तुलना में आंख के रोगियों की संख्या दो गुनी हो गई है।
सर गंगाराम अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के प्रमुख डॉ एके ग्रोवर के मुताबिक बच्चों में आंखों की परेशानी बढ़ती ही जा रही है। कोरोना से पूरी तरह से ठीक हो चुके लोगों में सिर दर्द की शिकायत देखी जा रही है। ऐसे मरीजों की जांच के बाद उन्हें न्यूरो और नेत्र रोग विशेषज्ञ के पास भेजा जाने लगा है। हमें जानकारी मिली है कि आंख कमजोर होने के कारण ही मरीजों के सिर में दर्द हो रहा है। कोरोना का असर क्योंकि शरीर के हर अंग पर पड़ता है इसलिए आंखें भी पहले की तुलना में तेजी से कमजोर हो रही हैं। इसके साथ ही जिन मरीजों ने कोरोना के दौरान स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल किया है उनकी आंखों पर भी बुरा असर पड़ा है।
कोरोना मरीजों के अलावा जो स्वस्थ्य मरीज हैं उन्हें अपना ज्यादातर काम लॉकडाउन के दौरान घर से ही करना पड़ा है। अभी भी ज्यादातर ऑफिस बंद हैं, जिसके कारण लोग कई कई घंटे लगातार लैपटॉप पर बैठकर काम कर रहे हैं। बच्चों की क्लास भी पिछले एक साल से ऑनलाइन चल रही हैं। इन सबका असर भी आंखों पर पड़ता दिखाई दे रहा है। डॉ ग्रोवर ने कहा कि इन दिनों कंप्यूटर विजन सिंड्रोम भी देखा जा रहा है। डॉक्टर बताते हैं कि लैपटॉप और मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाली तरंगे भी आंखों को काफी नुकसान पहुंचा रही हैं। राजधानी दिल्ली के अस्पतालों में ओपीडी के नेत्र रोग विभाग में इलाज के लिए पहुंचने वालों में 60 प्रतिशत बच्चे हैं। जीटीबी अस्पताल के डॉ विजय प्रताप ने बताया कि पिछले एक साल से अधिक समय से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। ऑनलाइन ही पढ़ाई हो रही है। कई घरों में बच्चों को फोन से पढ़ाया जा रहा है। इस कारण से पहले की तुलना में आंखों पर ज्यादा जोर पड़ रहा है। ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वह बच्चों पर नजर रखें और अगर उन्हें किसी भी तरह की कोई दिक्कत दिख रही है तो तुरंत डॉक्टरों के पास जाएं।