नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने साफ किया कि टीके की दोनों खुराक लेने के बाद भी कुछ लोगों में संक्रमण हो सकता है जिनमें से बहुत कम करीब एक फीसदी लोगों में यह संक्रमण गंभीर हो सकता है। लेकिन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ऐसे मामलों में पैनी निगाह रखे हुए है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पाल और स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेस में एक प्रश्न के उत्तर में यह बात कही। उन्होंने कहा कि इसी मंच से पहले भी कहा गया है कि टीकों की प्रभावकारिता के हिसाब से कुछ लोगों में फिर से संक्रमण हो सकता है। लेकिन ऐसे मामलों में देखा गया है कि बीमारी के लक्षण हल्के होते हैं। बहुत कम एक फीसदी से कम मामलों में संक्रमण के मामले गंभीर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के बहुत कम मामले आए हैं। लेकिन इन पर निगाह रखी जा रही है। नीति आयोग के सदस्य वी. के. पाल ने कहा कि बच्चों का टीका बनाने के लिए भारत बायोटेक के टीके कोवैक्सीन के बच्चों पर ट्रायल की अनुमति दी जा चुकी है। अगले 10-12 दिनों के भीतर परीक्षण शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर के दिसंबर में हुए सिरो सर्वेक्षण में बच्चों और वयस्कों में करीब-करीब एक जैसी स्थिति पाई गई थी। 10-18 और इससे अधिक उम्र के लोगों में एंटीबाडीज मिलने की दर करीब-करीब एक जैसी 22-23 फीसदी के करीब पाई गई थी। उन्होंने कहा कि बच्चों में संक्रमण के ज्यादा मामलों में लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन उनके जरिये बीमारी का प्रसार हो सकता है। उन्होंने कहा कि विदेशों में टीकों के परीक्षण हो रहे हैं, उन पर नजर रखी जा रही है। कोरोना की दूसरी लहर में दो फीसदी आबादी प्रभावित हुई है। इसलिए 98 फीसदी आबादी को अभी भी संक्रमण में आने का खतरा है इसलिए लोगों को सभी सावधानियां बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी तक सामने आए संक्रमण की इतनी अधिक संख्या के बावजूद हम दो फीसदी से कम आबादी तक इसे सीमित रखने में सफल हुए हैं।

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