नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर अब ढलान पर है, लेकिन पिछले चार महीनों की तुलना यदि पहली लहर से करें तो संक्रमण में 71 फीसदी और मौतों में 42 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे साफ होता है कि दूसरी लहर के चार महीनों में किस प्रकार कोरोना का कहर लोगों पर हुआ है। कोरोना संक्रमण को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो फरवरी-मार्च 2020 से शुरू हुई पहली लहर 16 फरवरी 2021 को न्यूनतम स्तर पर आ गई थी, तब दैनिक संक्रमण न्यूनतम स्तर पर आ गए थे और कुल 9121 मामले दर्ज किए गए थे। इसके बाद मामले बढ़ने लगे जो दूसरी लहर की शुरुआत थी। फरवरी मध्य से शुरू हुआ बढ़ोतरी का दौर 7 मई तक जारी रहा। 7 मई के बाद गिरावट शुरू हुई और मंगलवार को करीब 60 हजार नए मामले आए। विशेषज्ञों की मानें तो अगले महीने के मध्य तक 16 फरवरी जैसी स्थिति आने की संभावना है। पहली लहर में यदि 16 फरवरी तक के आंकड़ों को देखें तो कुल 10925710 लोग संक्रमित हुए और 155813 मौतें हुई। जबकि दूसरी लहर के सिर्फ चार महीनों में 15 जून तक 18645171 लोग संक्रमित हो गए जो पहली लहर की तुलना में 71 फीसदी ज्यादा हैं। जबकि 221218 लाख लोगों की मौत हुई जो पहली लहर की तुलना में 42 फीसदी ज्यादा है। हालांकि दूसरी लहर के न्यूनतम स्तर पर जाने में अभी एक महीने और लगने की संभावना है। तब तक दोनों आंकड़े बढ़ चुके होंगे। आंकड़ों के विश्लेषण से यह भी साफ है कि पहली लहर की अवधि जहां बेहद लंबी थी और उपरोक्त संक्रमण और मौतें एक साल के भीतर हुई थीं, जबकि दूसरी लहर में सिर्फ चार महीने के भीतर ही 71 फीसदी संक्रमण और 42 फीसदी ज्यादा मौतें दर्ज की गईं। यानी दूसरी लहर ज्यादा तीव्र और घातक थी।

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