नई दिल्ली। सबसे तेजी से फैल रहे कोरोना के वेरिएंट बी.1.617 (डबल वेरिएंट) को लेकर कई तरह की चिंताएं सामने आने लगी हैं। यह तेजी से फैल रहा है, बीमारी को घातक बना रहा है। अब अनुसंधानों से शुरुआती संकेत मिले हैं कि मौजूदा टीके इसके संक्रमण को रोकने में कम असरदार हैं। साइंस जर्नल नेचर ने इस वेरिएंट को लेकर प्रकाशित रिपोर्ट में यह दावा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के शोधकर्ता डॉ. रवीन्द्र गुप्ता ने टीका ले चुके लोगों के सीरम पर अध्ययन करने के बाद यह नतीजा निकाला है कि टीके से लोगों में पैदा एंटीबाडीज इस वायरस के विरुद्ध कम असरदार हैं। उन्होंने फाइजर की एक खुराक ले चुके नौ लोगों के सीरम की जांच की और पाया कि उनमें बनी न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबाडीज इस वेरिएंट के खिलाफ 80 फीसदी कम क्षमता दिखाती हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली के अस्पतालों में कोविशील्ड की दोनों खुराक ले चुके लोगों में दोबारा संक्रमण के मामलों को भी इससे जोड़कर देखा जा सकता है। रिपोर्ट में जर्मनी के वैज्ञानिकों की एक टीम के नतीजों का भी जिक्र है, जिन्होंने पूर्व में कोरोना से संक्रमित हो चुके 15 लोगों की न्यूट्रीलाइजिंग एंटीबाडीज की जांच की और उन्हें डबल वरिएंट के खिलाफ 50 फीसदी कम प्रभावी पाया। टीम ने फाइजर टीके की दोनों खुराक ले चुके लोगों की एंटीबाडीज की जांच की तो उन्हें डबल वेरिएंट के खिलाफ 67 फीसदी कम असरदार पाया। रिपोर्ट में पुणे की वैज्ञानिक डा. प्रज्ञा यादव के अध्ययन का भी जिक्र किया गया है, जिन्होंने कोवैक्सीन के नए वेरिएंट पर अध्ययन किया है। दरसअल, जीनोम कंसोर्टियम के तहत कोवैक्सीन के साथ-साथ कोविशील्ड के भी टीके पर असर को लेकर अध्ययन कर रहा है। हालांकि इस अध्ययन के शुरुआती नतीजों में कहा गया है कि वैक्सीन और कोविशील्ड डबल वेरिएंट के खिलाफ काम कर रही है लेकिन पूर्व के वेरिएंट की तुलना में डबल वेरिएंट के खिलाफ उसका असर कम है। यह अध्ययन अभी प्रकाशति नहीं हुआ है। प्रज्ञा यादव की तरफ से आश्वस्त किया गया है कि ऐसे में संक्रमण होता भी है तो भी वह ज्यादा गंभीर नहीं होगा। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के अध्ययन में यह भी कहा गया है कि नए वेरिएंट पर आस्ट्रेजिनका का टीका भी पूर्ण रूप से असरदार नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह अध्ययन लोगों के सीरम पर आधारित हैं। इनके आधार पर अंतिम नतीजा नहीं निकाला जा सकता है। बड़े अध्ययन किए जाने की जरूरत है।














