नई दिल्ली। कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती एक तिहाई से ज्यादा मरीजों में बीमार पड़ने के छह महीनों तक कम से कम एक लक्षण बना रहता है। यह पता चला है एक ताजा अध्ययन से। अध्ययनकर्ताओं ने कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आए 1,733 मरीजों में संक्रमण से पड़ने वाले दीर्घकालिक असर का अध्ययन किया। अध्ययन में चीन के जिन यिन तान अस्पताल के शोधकर्ता शामिल थे और इन लोगों ने मरीजों में लक्षण और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी के लिए एक प्रश्नावली पर आमने सामने बात की।
अध्ययन में यह भी बात सामने आई कि ऐसे मरीज जो अस्पताल में भर्ती थे और जिनकी हालत गंभीर थी, उनके सीने के चित्रों में फेफड़ों में गड़बड़ी पाई गई। वैज्ञानिकों का मानना है कि लक्षण दिखाई देने के छह माह बाद यह अंग के क्षतिग्रस्त होने का संकेत हो सकता है। ‘चीन-जापान फ्रेंडशिप हॉस्पिटल इन चाइना’ में नेशनल सेंटर फॉर रेस्पिरेटरी मेडिसिन में अध्ययन के सह-लेखक गिन काओ ने कहा, ‘‘हमारे विश्लेषण से संकेत मिलता है कि अधिकांश रोगियों में अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी संक्रमण के कुछ प्रभाव रहते हैं, और यह अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद काफी देख भाल किए जाने की जरूरत को रेखांकित करता हैं, खासतौर पर उन लोगों को जो काफी बीमार थे।
नवंबर-दिसंबर 2019 में कोरोना वायरस का संक्रमण चीन के वुहान से पूरी दुनिया में फैला। शोधकर्ताओं के अनुसार सभी लोगों में मांसपेशियों की सामान्य दिक्कत पाई गई है। अध्ययन में शामिल 63 प्रतिशत लोगों ने मांसपेशियों में कमजोरी की शिकायत बताई। इनके अलावा एक और बात सामने आई कि 26 प्रतिशत लोगों को सोने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने कहा कि 23 प्रतिशत लोगों में बेचैनी और अवसाद के लक्षण पाए गए हैं।
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