भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि कोरोना महामारी ने भारतीय न्यायपालिका के तकनीकी ढांचे को मजबूत आधार दिया है। महामारी के बाद से सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और देश की 17,000 से अधिक अदालतों में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के लिए आधारभूत संरचना को तैयार किया गया है। इससे पता चलता है कि हम क्या हासिल कर पाए हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट की ई-समिति के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि सवाल यह नहीं है कि हमें प्रौद्योगिकी को अपना रहे हैं, बल्कि सवाल यह है कि हम प्रौद्योगिकी को कितनी अच्छी तरह अपनाएंगे।
बुधवार को वेबिनार के माध्यम से न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने दिल्ली में वर्चुअल कोर्ट परियोजना के दूसरे चरण का ई-उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि यातायात उल्लंघन के ऑनलाइन भुगतान से सिस्टम की दक्षता में काफी सुधार हुआ है। वर्चुअल कोर्ट 2.0 परियोजना सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी, दिल्ली हाई कोर्ट की आइटी टीमों, जिला अदालतों और दिल्ली की ट्रैफिक पुलिस द्वारा बनाई गई है।
बता दे कि दिल्ली-एनसीआर में यातायात पुलिस ने 389 कैमरे ओवर-स्पी¨डग और रेड लाइट जंपिंग के मामले पकड़ने के लिए लगाए हैं।उन्होंने बताया कि वर्चुअल कोर्ट शुरू होने के 15 मिनट में ही 95 हजार रुपये के चालान का ऑनलाइन भुगतान हुआ है. यही नहीं ये अदालतें दिल्ली जिला न्यायपालिका के 20 न्यायाधीशों का काम करने में सक्षम हैं।