भोपाल। कोरोना संक्रमण के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो रही है और इसी बीच टायफाइड भी सिर उठा रहा है। इन दोनों बीमारियों के लक्षण एक समान होने के कारण मरीज गलफत में पड रहे हैं। इस परेशानी की वजह लोग कोरोना के इलाज में देरी कर रहे हैं। इसके अलावा कोरोना रोगियों में प्लेटलेट्स कम होने की शिकायतें भी आ रही हैं। कोविड संक्रमण के 100 में से 10 मामलों में टायफाइड भी पाजिटिव आ रहा है। ऐसे में अब डाक्टर कोरोना के साथ मलेरिया, टायफाइड की जांचें भी करा रहे हैं। कोरोना के साथ टायफाइड होने को डाक्टर ज्यादा बड़ी चुनौती नहीं मान रहे हैं और ऐसे रोगियों को ठीक होने में ज्यादा समय लग रहा है। शहर में कई रोगियों को पहले टायफाइड के लक्षण पाए गए। जब डाक्टरों ने कोरोना की भी जांच कराने के लिए कहा तो दोनों रिपोर्ट पाजिटिव आई। कोरोना के लक्षणों को दूसरी बीमारी के लक्षण समझकर रोगी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और फिर देरी के कारण संक्रमण फेफड़ों में पहुंच रहा है। डा. अशोक सेठिया के अनुसार ज्यादातर लोगों को पहले टायफाइड हो चुका होता है, ऐसे में उस बीमारी से लड़ने के लिए शरीर में पहले से एंटीबाडी रहती है। इस कारण कोरोना की तुलना में टायफाइड इतना नुकसान नहीं पहुंचाता है। कोरोना संक्रमण कम करने के लिए जो एंटीबायोटिक दवाएं दी जा रही हैं वह टायफाइड के लिए भी प्रभावी हैं, लेकिन दो बीमारियों से एक साथ लड़ने में शरीर ज्यादा समय लेता है। एमवाय के अधीक्षक डा. पीएस ठाकुर के अनुसार कोरोना संक्रमित कुछ रोगियों में प्लेटलेट्स कम होने की शिकायत भी आ रही हैं।एक्सपर्ट की माने तो कोरोना और टायफाइड में बारबार बुखार आता है। भूख कम लगती है और कमजोरी आती है। टायफाइड मानकर लोग कोरोना की जांच नहीं कराते और फेफड़े संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। बुखार के साथ भारी सिरदर्द है या दस्त लग रहे हैं तो यह मानकर चलें कि आप कोरोना से संक्रमित हैं। तत्काल जांच कराएं। इन दिनों पानी का सेवन उबालकर करें, ताकि टायफाइड का खतरा कम रहे। इस बारे में अरबिंदो अस्पताल इंदौर के डा. रवि डोसी का कहना है ‎कि अस्पताल में भर्ती 100 में से 10 से 15 रोगियों में कोरोना के साथ टायफाइड भी पाया जा रहा है। ऐसी स्थिति में बुखार उतरने में ज्यादा समय लग रहा है और रोगी को दस्त भी लगते हैं।

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