गुजरात में कोरोना वायरस संक्रमित कम से कम 25 मरीजों को अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल द्वारा भर्ती करने से इनकार के बाद कई घंटे सड़कों पर गुजारने पड़े। बाद में मामला सुलझाने के लिए राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को घटनास्थल पर भेजा। परेशान हाल मरीजों को छह घंटे बाद अस्पताल में भर्ती किया गया। पूरा मामला रविवार रात को सामने आया जब एक मरीज ने पूरी घटना का वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाला। यह वीडियो रविवार रात करीब पौने नौ बजे बनाया गया जिसमें कुछ पुरुष और कुछ महिलाएं कथित तौर पर सरकारी अस्पताल के बाहर खड़े हैं और कह रहे हैं कि वे कोरोना वायरस के मरीज हैं और अस्पताल में भर्ती होने के लिए दोपहर बाद तीन बजे से इंतजार कर रहे हैं।

एक महिला ने अपने वीडियो में कहा,‘‘हम कुल 25 लोग हैं जिनकी कल आई कोरोना वायरस रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि हुई है। हम दोपहर बाद तीन बजे से सरकारी अस्पताल के बाहर इंतजार कर रहे हैं। शाम के 8.45 बज चुके हैं। हमारे पास खाना भी नहीं है। हमें बाहर इंतजार कराया जा रहा है और कोई हमें कुछ बता भी नहीं रहा है। कृप्या हमारी मदद करें। राज्य की प्रधान सचिव जयंती रवि ने सोमवार को बताया कि जैसे ही उन्हें इस मामले का पता चला स्वास्थ्य आयुक्त जय प्रकाश शिवहरे सहित वरिष्ठ अधिकारियों को सरकारी अस्पाल भेजा गया और मरीजों को भर्ती कराया गया।

उन्होंने गांधीनगर में संवाददाताओं को बताया ,‘‘भर्ती के लिए मरीजों को केस संबंधी कागज लाने होते हैं पर उन कागजों में कुछ विसंगतियां थीं जिससे डाटा एंट्री में दिक्कतें आ रहीं थी। हमारे अधिकारियों ने समस्या को हल किया और मरीजों को भर्ती किया। हम यह सुनिश्चित करेंगे ऐसी घटनाएं भविष्य में नहीं हों।’’ इस बीच गुजरात कांग्रेस के नेता अर्जुन मोधवाडिया ने कोरोना वायरस संक्रमित पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती पुलिस कांस्टेबल की पीड़ा के लिए राज्य सरकार की आलोचना की। कांस्टेबल ने दो दिन पहले पुलिस नियंत्रण कक्ष में फोन करके कहा था कि उसे अस्पताल में जमीन पर सोने के लिए कहा गया है। उसने कहा था कि जहां उसे रखा गया है वहां पंखा तक नहीं है। कांस्टेबल का यह संदेश रविवार को वायरल हो जाने के बाद यह मामला सामने आया था। कांग्रेस नेता ने रविवार को ट्वीट किया,‘‘क्या इसी तरह हम अपने कोरोना योद्धाओं के साथ बर्ताव करना चाहते है? पुलिसकर्मी को अस्पताल में बेड नहीं दिया गया। सरकार को इस संबंध में कुछ करना चाहिए।’’ इसके जवाब में सरकार ने अस्पताल के कुछ वीडियो जारी करते हुए दावा किया कि मरीज का बेहतर से बेहतर इलाज किया जा रहा है।

 

 

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