वाशिंगटन । घातक वायरस कोविड-19 से बचाव के लिए ब्रिटेन के बाद अमेरिका में भी कोरोना वैक्सीन से दो स्वास्थ्यकर्मियों के अस्वस्थ पड़ने के बाद ट्रंप प्रशासन हरकत में आ गया है। यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि वह पूरे मामले की गहराई से निगरानी कर रहा है। सीडीसी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि जिस किसी को भी कोरोना वायरस वैक्सीन की डोज देने के बाद गंभीर रिएक्शन हुए हैं, उन्हें दूसरी डोज नहीं दी जाए। सीडीसी ने यह भी बताया कि वैक्सीन दिए जाने के बाद यदि मरीज को एलर्जी को रोकने वाली दवा एपिनेफ्रीन दी जाए या उसे अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ जाए, उसे ही रिएक्शन का सीरियस केस माना जाए। सीडीसी ने यह भी कहा कि जिन लोगों को कोरोना वैक्सीन के किसी भी तत्व से गंभीर एलर्जी हो सकती है, उन्हें भी टीकाकरण से बचना चाहिए।
सीडीसी ने कहा है कि जिन लोगों को पहले भी किसी प्रकार की एलर्जी हो चुकी है वे वैक्सीन लगवाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। इससे पहले अमेरिका में एलर्जी वाले लोगों को भी वैक्सीन दिए जाने पर कोई रोक नहीं थी। अमेरिका का खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) उन पांच एलर्जी प्रतिक्रियाओं की जांच कर रहा है, जो फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन की डोज दिए जाने के बाद सामने आए थे। दो दिन पहले ही अमेरिका में आपातकालीन उपयोग के लिए अधिकृत मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्सीन को भी गंभीर एलर्जिक लोगों को दिए जाने पर रोक लगा दी गई है। एफडीए ने इसे लेकर एक आदेश जारी करते हुए कहा है कि यह वैक्सीन भी एलर्जी का इतिहास रखने वाले लोगों पर बुरा असर कर सकती है। ऐसे में उन लोगों को न दी जाए जिन्हें पहले कोई एलर्जी हुई हो।
अलास्का में फाइजर की कोरोना वायरस वैक्सीन दिए जाने के बाद दो स्वास्थ्यकर्मी बीमार पड़ गए। उनके ऊपर वैक्सीन के गंभीर एलर्जिक असर देखने को मिला। एक स्वास्थ्यकर्मी को तो वैक्सीन दिए जाने के 10 मिनट बाद ही एलर्जी हो गई। जिन लोगों में वैक्सीन के रिएक्शन हुए हैं उनमें एनाफिलेक्टिक लक्षण सामने आए हैं। इसमें जीभ का सूज जाना, कर्कश आवाज और सांस लेने में परेशानी जैसी दिक्कतें होती हैं। फाइजर कंपनी की भारतीय इकाई ने भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) से फाइजर/बायोएनटेक वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की अनुमति मांगी है। ब्रिटेन में टीके को मंजूरी मिलने के बाद फाइजर और बायोएनटेक को आगामी दिनों में अन्य देशों में भी इस टीके को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। भारत में ऐसा कोई भी सरकारी आंकड़ा नहीं है जिससे पता चल पाए कि कौन से मरीज में पहले एलर्जी के मामले सामने आए हैं। ऐसे में अगर किसी ऐसे व्यक्ति को वैक्सीन दिया जाता है जिसमें एलर्जी की संभावना ज्यादा है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

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