-डॉ. जयंतीलाल भंडारी-

विख्यात अर्थशास्त्री

निःसंदेह चीन के वुहान शहर से फैले कोरोना वायरस ‘कोविड 2019’ के प्रकोप से न केवल चीन में आर्थिक चुनौतियां बढ़ी हैं वरना कोरोना प्रकोप से भारत में पहले से ही चली आ रही रोजगार चुनौती और बढ़ गई है। चूंकि भारतीय दवा उद्योग, वाहन उद्योग, केमिकल उद्योग, खिलौना कारोबार तथा इलेक्ट्रिकल एवं इलेक्ट्रानिक्स कारोबार प्रमुख रूप से चीन से आयातीत कच्चे माल एवं वस्तुओं पर आधारित है और अब इनकी आपूर्ति रुक गई है, ऐसे में ये उद्योग-कारोबार मुश्किलों का सामना करते हुए दिखाई दे रहे हैं और इन क्षेत्रों में रोजगार चुनौतियां बढ़ गई हैं। इतना ही नहीं हम चीन को जिन वस्तुओं का निर्यात करते हैं, वे उद्योग-कारोबार भी कोरोना वायरस के कारण बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

चीन को निर्यात के सौदे रुक गए हैं जिससे इस क्षेत्र में भी नई रोजगार चुनौतियां उत्पन्न हो गई हैं। निःसंदेह इस समय कोरोना प्रकोप के बाद देश के आर्थिक-सामाजिक परिदृश्य पर रोजगार संबंधी चिंताएं और अधिक उभरकर दिखाई दे रही हैं। हाल ही में 5 फरवरी को राज्यसभा में बताया गया कि पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे ‘पीएलएफएस’ के आंकड़ों के अनुसार देश में बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी है। एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा प्रस्तुत किए गए वर्ष 2020-21 के आम बजट में रोजगार का जिक्र सात बार और नौकरी का जिक्र आठ बार किया गया। यद्यपि नए बजट में रोजगार के रास्ते दिखाए गए, लेकिन कितने लोगों को रोजगार मिलेंगे, इसका कोई आंकड़ा प्रस्तुत नहीं किया गया है।

अब कोरोना प्रकोप से बढ़ गई रोजगार चुनौतियों के बीच नए बजट के माध्यम से देश में रोजगार की दशा और दिशा दोनों को सुधारने के काम को ठोस प्राथमिकता दी जाना जरूरी है। यद्यपि वित्तमंत्री ने वर्ष 2020-21 के नए बजट में रोजगार के लिए किसी नई योजना और नई नौकरियों की संख्या के बारे में कोई ऐलान नहीं किया है, लेकिन फिर भी रोजगार निर्माण के रास्ते तराशे गए हैं। निःसंदेह वित्तमंत्री रोजगार वृद्धि के लिए नए बजट के तहत बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर फोकस करते हुए दिखाई दी हैं। 100 लाख करोड़ रुपए की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से युवाओं को रोजगार मिलेगा। वित्तमंत्री ने नए बजट में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ‘पीपीपी’ मोड में अस्पतालों की स्थापना से भी रोजगार पैदा करने की बात कही है। पीपीपी मोड में 5 नई स्मार्ट सिटीज बनेंगी।

कहा गया है कि राष्ट्रीय लॉजिस्टिक पॉलिसी जल्द जारी होगी। इसमें रोजगार पैदा करने, कौशल विकसित करने और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों ‘एमएसएमई’ को ज्यादा सक्षम बनाने पर जोर रहेगा। एमएसएमई की आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को बढ़ाने के लिए फैक्टर रेगुलेशन एक्ट 2011 में संशोधन होगा तथा कर्ज में भी राहत दी जाएगी। इससे रोजगार बढ़ेंगे। एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए फुटवियर और फर्नीचर जैसे आइटम पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाई गई है। निःसंदेह रोजगार के लिए युवा उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के लिए इन्वेस्टमेंट क्लीयरेंस सेल की स्थापना उपयुक्त कदम है। यह लैंड बैंक इत्यादि से जुड़ी जानकारियां मुहैया करवाएगा और केंद्र और राज्य के स्तर पर क्लीयरेंस लेने में मदद करेगा। नए बजट में एक जिला, एक उत्पाद की नीति को लागू करके जिला स्तर पर रोजगार अवसर बढ़ाए जाएंगे। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ‘मनरेगा’ के लिए अतिरिक्त धन आबंटित किया है। मछली पालन में अधिक रोजगार के लिए भारी प्रोत्साहन दिए गए हैं। साथ ही ऐसे नए कृषिगत उद्यमों को प्रोत्साहन दिया है, जिनसे ग्रामीण क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के उपायों के साथ-साथ कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के विकास के माध्यम से बेरोजगारी और गरीबी को दूर करने वाले कामों को प्रोत्साहन दिया जा सकेगा।

यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि नए बजट के तहत देश में स्वरोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए वित्तमंत्री प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ‘पीएमएमवाई’ को तेजी से आगे बढ़ाते हुए दिखाई दी हैं। सरकार का कहना है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत वर्ष 2015 से लेकर 2018 के बीच 4.25 करोड़ नए उद्यमियों को कर्ज बांटे गए। इन कर्जों ने कुल 11.2 करोड़ नए रोजगार पैदा किए। यह संख्या स्वरोजगार में लगे लोगों की 55 फीसदी है। ऐसे में नए बजट के तहत मुद्रा योजना को और अधिक विस्तारित करके रोजगार के अवसर बढ़ाए गए हैं। इसी तरह नए बजट में प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत भी आबंटन बढ़ाया गया है। इस योजना के तहत वर्ष 2016 से 2020 के बीच करीब 73.47 लाख लोगों को प्रशिक्षण देकर रोजगार दिलाया गया। यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि वित्तमंत्री नए बजट में शिक्षण-प्रशिक्षण संबंधी नई जरूरतों की पूर्ति हेतु आबंटन राशि बढ़ाते हुए दिखाई दी हैं।

सरकार ने डिप्लोमा के लिए नए संस्थान तथा इंजीनियरिंग छात्रों के कौशल विकास पर ध्यान दिया है। सरकार ने शिक्षा क्षेत्र के लिए करीब 99,300 करोड़ उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है। वित्तमंत्री ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और बाह्य वाणिज्यिक उधारी ‘ईसीवी’ के जरिए शिक्षा के लिए फंडिंग का ऐलान किया है। साथ ही सरकार ने नए बजट के तहत उच्च शिक्षा तक पहुंच न रखने वाले वंचित वर्गों के छात्रों के लिए डिग्री स्तर पर गुणवत्तापूर्ण ऑनलाइन शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव किया है। यद्यपि नए बजट में वित्तमंत्री देश में मौजूद रोजगार चुनौतियों के बीच रोजगार अवसर बढ़ाने के लिए कदम उठाते हुए दिखाई दी हैं, लेकिन अब कोरोना प्रकोप के बाद रोजगार अवसर बढ़ाने की नई रणनीति पर आगे बढ़ना होगा। चीन से आयातित वस्तुओं पर आधारित उद्योग-कारोबार को ढहने से बचाने के लिए वैकल्पिक सहारा देना होगा।

निर्यात आधारित उद्योगों को प्रोत्साहन देकर उनमें रोजगार बढ़ाना होगा। जिस तरह वैश्विक रिपोर्टों में आगामी दशक यानी वर्ष 2030 तक भारत की नई पीढ़ी के लिए देश और दुनिया में कौशल युक्त नए अवसरों की संभावनाए बताई जा रही है,  उन्हें मुठ्ठियों में लेने के लिए सरकार के द्वारा नए रणनीतिक कदम उठाने जरूरी होंगे। ज्ञातव्य है कि मानव संसाधन परामर्श संगठन कॉर्न फेरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां दुनिया में 2030 तक कुशल कामगारों का संकट होगा, वहीं भारत के पास 24.5 करोड़ अतिरिक्त कुशल कामगार होंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक दुनिया के 19 विकसित और विकासशील देशों में 8.52 करोड़ कुशल श्रमशक्ति की कमी होगी।

ऐसे में दुनिया में भारत इकलौता देश होगा जिसके पास 2030 तक जरूरत से ज्यादा कुशल कामगार होंगे। भारत ऐसे में विश्व के तमाम देशों में कुशल कामगारों को भेजकर फायदा उठा सकेगा। हम आशा करें कि कोरोना प्रकोप के बाद अब जो रोजगार चुनौतियां बढ़ गई हैं, उनके मद्देनजर सरकार ने वर्ष 2020-21 के नए बजट के तहत रोजगार अवसरों में वृद्धि के लिए जो घोषणाएं की गई हैं, उन्हें कारगर तरीके से पूरा करेगी। साथ ही कोरोना प्रकोप और आर्थिक सुस्ती से गिरते हुए उद्योग-कारोबार को सहारा देकर रोजगार के अवसरों को घटने नहीं देगी। निर्यात की नई रणनीति बनाकर निर्यात इकाइयों में रोजगार बढ़ाएगी। इन सबके साथ-साथ हम आशा करें कि सरकार देश के करोड़ों युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए नए वैश्विक रोजगार कौशल से पल्लवित-पुष्पित करने की डगर पर आगे बढ़ेगी।

 

 

 

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