नई दिल्ली। कोरोना रोधी टीका किसको लगना चाहिए, इसको लेकर अभी विशेषज्ञ एकमत नहीं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद शरीर में छह माह तक एंटीबॉडी रहती हैं। भारत में भी नई गाइडलाइंस के अनुसार, कोरोना संक्रमण के तीन माह बाद टीका लगवाने की सलाह दी गई है। इस बीच एक नई रिसर्च में दावा किया गया है कि जो लोग कोरोना की चपेट में आ चुके हैं, उन्हें टीका लगाने की जरूरत नहीं है।
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स के एक ग्रुप का कहना है कि बड़े संख्या में अंधाधुंध और अपूर्ण टीकाकरण कोरोना वायरस के नए वैरियंट्स के उभार की वजह बन सकता है। उन्होंने सुझाव दिया है कि जो लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, उनके टीकाकरण की कोई जरूरत नहीं है। बता दें कि इस समूह में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर कोविड-19 संबंधी राष्ट्रीय कार्यबल के सदस्य भी शामिल हैं। समूह ने सलाह दी है कि अभी हमें बड़े पैमाने पर लोगों के टीकाकरण की जगह केवल उन लोगों का वैक्सीन दी जानी चाहिए, जो संवेदनशील और जोखिम श्रेणी में शामिल हैं।
इंडियन पब्लिक हेल्थ एसोसिएशन, इंडियन एसोसिएशन ऑफ एपिडमोलॉजिस्ट्स और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रीवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन के विशेषज्ञों द्धारा तैयार की गई इस साझा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ये उचित होगा कि सभी आयु वर्ग के लोगों की जगह महामारी संबंधी आंकड़ों को ध्यान में रखकर टीकाकरण के लिए रणनीति बनानी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्धारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में अब तक कोविड-19 रोधी टीके की 24.58 करोड़ से ज्यादा खुराक दी जा चुकी हैं। मंत्रालय ने बताया कि गुरुवार को 18 से 44 आयुवर्ग के 1864234 और 77136 लाभार्थियों ने क्रमश: टीके की पहली और दूसरी खुराक लीं।