न्यूयॉर्क। जानलेवा कोरोना वायरस से त्रस्त दुनिया में इसका खतरा अभी टला नहीं है बल्कि गंभीर होता जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अब एक और नए कोविड वेरियंट को ट्रैक करना शुरू कर दिया है। म्यू नाम का वेरियंट बी-1.621 सबसे पहले इस साल जनवरी में पाया गया था और अब तक 40 से ज्यादा देशों में इसके करीब चार हजार मामले सामने आ चुके हैं। चिंता की बात यह है कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक यह वैक्सीन को बेअसर कर सकता है और ज्यादा संक्रामक भी हो सकता है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि अभी इस वेरियंट की गंभीरता को समझने के लिए और ज्यादा अध्ययन की जरूरत है और इसे ‘वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट’ करार दिया गया है। संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘जनवरी 2021 में कोलंबिया में पाए जाने के बाद म्यू वेरियंट के कुछ मामले देखे गए हैं और दक्षिण अमेरिका और यूरोप समेत दूसरे देशों में बड़ी संख्या में भी मामले सामने आए हैं। वैश्विक स्तर पर इसके मामलों में कमी आई है और 0.1 प्रतिशत से कम है, कोलंबिया और ईक्वाडोर में यह बढ़ता जा रहा है।’
डेल्टा वेरियंट के साथ म्यू वेरियंट की मौजूदगी पर नजर रखी जाएगी। डब्ल्यूएचओ ने फिलहाल डेल्टा के अलावा आल्फा, बीटा और गामा को चिंताजनक वेरियंट करार दिया है। वहीं म्यू के अलावा ईटा, आयोटा, कापा और लांब्डा वेरियंट ऑफ इंटरेस्ट हैं। फिलहाल म्यू के ज्यादा संक्रामक होने की जानकारी नहीं है। अभी तक 300 से ज्यादा कोविड वेरियंट डिटेक्ट किए जा चुके हैं। इसके अहम म्यूटेशन्स में ई484के है जो इसे बीटा और गामा वेरियंट्स की तरह ऐंटीबॉडीज से बचा सकता है। इसमें एन501वाई म्यूटेशन भी है जो इसे संक्रामक बना सकता है। यह आल्फा वेरियंट में भी है। ज्यादा ट्रांसमिशन होने पर कोरोना वायरस में म्यूटेशन होते जा रहे हैं। आमतौर पर ये नुकसानदायक नहीं होते हैं लेकिन ऐसे म्यूटेशन जिनकी वजह से ये होस्ट शरीर में ज्यादा वक्त के लिए रहते हैं, वे काफी घातक हो सकते हैं।