भारत स्वास्थ्य के लिए लाभकारी प्लाज्मा थेरेपी के नैदानिक परीक्षण के लिए प्रोटोकॉल (दिशानिर्देश) तैयार करने के अंतिम चरण में है। भारतीय आयर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। प्लाज्मा थेरेपी के तहत उपचारित मरीजों के खून में से एटीबॉडी लेकर उनका इस्तेमाल गंभीर रूप से बीमार कोविड-19 के मरीजों के इलाज में किया जाएगा। एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि केरल परीक्षण के स्तर पर इस थेरेपी का इस्तेमाल गंभीर रूप से बीमार लोगों पर शुरू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है। समझा जाता है कि आईसीएमआर ने इस अनोखी परियोजना के लिए राज्य सरकार को अपनी अनुमति दे दी है। इस परियोजना की पहल प्रतिष्ठित श्री चित्र तिरुनल आयुर्विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (एससीटीआईएमएसटी) ने की है।

आईसीएमआर के अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि थेरेपी का इस्तेमाल करते हुए कोई भी नैदानिक परीक्षण करने से पहले उन्हें भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) से स्वीकृति की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि यह थेरेपी वर्तमान में उपयोग नहीं होती या भारत में मरीजों के लिए निर्धारित नहीं है। अधिकारी ने कहा, “हम स्वास्थ्य के लिए लाभकारी प्लाज्मा थेरेपी के लिए प्रोटोकॉल तैयार करने के अंतिम चरण में हैं और इसके बाद हमें डीसीजीआई से स्वीकृति लेने की जरूरत होगी। फिलहाल के लिए इसका इस्तेमाल बस नैदानिक परीक्षणों में होगा।” उन्होंने यह भी बताया कि कुछ देशो में चुनिंदा नैदानिक परीक्षणों में उन मरीजों पर यह थेरेपी सफल हुई है जिनकी हालत बहुत गंभीर थी या वे वेंटिलर सपोर्ट पर थे। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में कोरोना वायरस के कारण मरने वालों का आंकड़ा 199 पर पहुंच गया है और कुल संक्रमितों की संख्या शुक्रवार तक 6,412 है।

 

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