पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने विपक्ष की पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम की शाखा अंसार उल-इस्लाम की मान्यता निरस्त करने के लिए क़दम उठाना आरंभ कर दिया है। इस सिलसिले में गृह मंत्रालय ने क़ानूनी मशवरा लेने के लिए एक नोट क़ानून मंत्रालय को भेजा है। क़ानून मंत्रालय को बताया गया है कि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम ने अंसार उल-इस्लाम के नाम से एक चरमपंथी संगठन क़ायम किया है जिसमें आम जनता को कार्यकर्ताओं के रूप में शामिल किया गया है।

इस नोट में कहा गया है कि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम ने इस महीने इमरान खान सरकार के ख़िलाफ़ आज़ादी मार्च शुरु करने की घोषणा की है। ये मार्च की 27 अक्तूबर को राजधानी इस्लामाबाद पहुंचेगा। मौलाना फज़लुर्रहमान की अगुवाई वाली जमीयत ने इसी महीने की शुरुआत में ऐलान किया है कि उनकी पार्टी 27 अक्तूबर को सरकार विरोधी ‘आज़ादी मार्च’ निकालेगी। मौलाना का कहना था कि इस तारीख़ को वो कश्मीर में रहने वालों के प्रति संवेदना व्यक्त करेंगे और काला दिवस मनाएंगे।

बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम सुन्नी देवबंदी पार्टी है और विपक्षी गठबंधन का हिस्सा है। पिछले कई महीनों से गठबंधन, सरकार विरोधी प्रदर्शनों की बात कर रहा था,किन्तु इस महीने मौलाना ने एकतरफा प्रदर्शनों का ऐलान कर दिया है।

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