अभी कोविड-19 के रूप में दुनिया में मौजूद कोरोना वायरस से राहत भी नहीं मिली है कि उसने एक नए रूप में दस्तक देकर फिर से दहशत का माहौल बना दिया है। शुरुआती जानकारी के अनुसार अभी यह ब्रिटेन में ही दिखाई दिया है जिसके कारण वहां भागदौड़ मची हुई है। इस नए वायरस या स्ट्रेन ने पूरी दुनिया को फिर से चिंता में डाल दिया है। इसी कारण एहतियात के तौर पर ब्रिटेन को दुनिया के देशों से हटाकर आइसोलेट करना शुरू कर दिया है। स्वयं ब्रिटेन सरकार के अनुसार म्युटेट किस्म का संक्रमण इतना तीव्रतम है कि स्थिति बेकाबू हो गई है। वैज्ञानिकों की मानें तो स्वयं को जीवित रखने की प्रक्रिया में जीन में जिन सुधारों की आवश्यकता होती है वायरस वह बदलाव कर लेते हैं और इसी प्रक्रिया को जेनेटिक म्युटेशन कहा जाता है। इन्हीं जानकारों के अनुसार कोविड-19 अपनी नई प्रजाति में डेढ़ दर्जन से अधिक बदलाव कर चुका है और इसके सहारे हमने जो सुरक्षा इंतजाम किए हैं उनके प्रति कोरोना अनुकूलन शक्ति पा चुका है। शायद इसीलिए नए स्ट्रेन को 70 फीसदी अधिक संक्रामक बताया जा रहा है। मगर भारत के लिहाज से सबसे अच्छी और राहत देने वाली बात ये है कि यहां अब तक कोविड-19 के नए स्ट्रेन का एक भी मामला सामने नहीं आया है। सोमवार को सरकार के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि भारत में अभी तक कोरोना वायरस का यह नया स्ट्रेन नहीं मिला है।
नाराज ममता ने पीके को चेताया
पिछले दिनों तृणमूल कांग्रेस से बड़े नेताओं के पलायन से ममता बनर्जी काफी परेशान बताई जा रही हैं। वे इनकी बाड़ाबंदी को लेकर अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी विचार कर रही हैं जिसमें चुनावी रणनीतिकार बनाए गए प्रशांत किशोर याने पीके के कार्य करने के तरीके पर लोगों की अप्रसन्नता उभर कर आई। इसी कारण वे प्रशांत किशोर से बेहद नाराज बताई जा रही हैं। खबर है कि उन्होंने पीके को चेतावनी दी है कि स्थिति को संभालें, नहीं तो वह अंतिम फैसला लेने को बाध्य होंगी। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक दिन में सबसे बड़ा पलायन तब देखने को मिला, जब भाजपा नेता अमित शाह के हाल ही में हुए दो दिवसीय दौरे में उनके समक्ष तृणमूल कांग्रेस के 34 नेताओं ने एक साथ पार्टी छोड़ी थी जिनमें कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी और पांच विधायक, एक सांसद शामिल थे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ममता बनर्जी ने पीके को अल्टीमेटम दे दिया है। अगर वह स्थिति पर नियंत्रण पाने में विफल रहे, तो ममता खुद अंतिम फैसला लेंगी। दरअसल तृणमूल से बगावत करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं में सबसे ज्यादा नाराजगी पीके और उनकी कंपनी आईपैक की वजह से ही है। नाराज नेताओं का कहना है कि ये लोग पार्टी को जनता के हिसाब से नहीं, बल्कि कॉर्पोरेट अंदाज में चलाना चाहते हैं। यह पश्चिम बंगाल की राजनीतिक रुचि के अनुरूप नहीं है।
सेना ने कहा- नहीं हुई घुसपैठ
सरकारी अधिकारियों ने दावा किया कि किसी भी चीनी सैनिक ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की है। यह दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे उस वीडियो के बाद आया है, जिसमें दावा किया गया है कि कुछ चीनी सैनिक सादे कपड़ों में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की लेकिन स्थानीय नागरिकों और आईटीबीपी जवानों ने उन्हें खदेड़ दिया। सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह वीडियो पुराना है और स्थानीय मुद्दों से संबंधित है। चीन के सैनिकों ने कोई घुसपैठ नहीं की है। सूत्रों के अनुसार, यह घटना कुछ दिन पहले की है। अपने पालतू जानवरों के साथ कुछ स्थानीय बंजारे भारतीय क्षेत्र में घुस गए और स्थानीय लोगों से उनकी भिंड़त हो गई।
बिजली गुल तो लगेगा जुर्माना
सरकार ने बिजली उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने के लिये महत्वपूर्ण कदम उठाया। इसके तहत नियम जारी कर उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने और तय समय पर सेवाएं देने की व्यवस्था सुनिश्चित की गयी है। नियमों के तहत अगर वितरण कंनियां विद्युत (उपभोक्ता अधिकार) नियम के अंतर्गत मानक सेवा उपलब्ध नहीं कराएंगी, उन्हें जुर्माना देना होगा। नियमों के बारे में संवाददाताओं को जानकारी देते हुए बिजली मंत्री आर के सिंह ने कहा, अब कोई भी ग्राहक बिजली बिना नहीं होगा। वितरण कंपनियों को सेवाएं देनी होंगी और अगर वे इसका पालन नहीं करती हैं, जुर्माना देना पड़ेगा। बिजली मंत्रालय के ये नियम ग्राहकों के अधिकार से जुड़े है। सिंह ने कहा कि ये नियम विद्युत उपभोक्कताओं को सशक्त बनाएंगे।