नई दिल्ली। आईबी, रा, एनआईए, ईडी, सीबीआई, एनसीबी और सीबीडीटी जैसी सरकारी जांच एजंसियों की
पॉपुलर ऑडियो बेस्ड प्लेटफॉर्म क्लबहाउस पर नजर है। क्लबहाउस चैट रूम की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। हालकि क्यों ये फिलहाल साफ नहीं है। एक अंग्रेजी अखबार की। रिपोर्ट के अनुसार इन एजेंसियां को ऑथोराइज्ड किया गया है ये क्लबहाउस के रूम को ट्रैक कर सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार इसमें ऐसे रूम्स को रियल टाइम में ट्रैक किया जाता है जो एक्साइटमेंट जनरेट करते हैं। ये इंडिविजुअल या ग्रुप चैट्स हो सकते हैं। ये एजेंसियां ऐसे चैट चाहे वो ओपन में हो या क्लोज उसे रियल टाइम में ट्रैक करने के लिए ऑथोराइज्ड है। इनवाइट बेस्ड ऑडियो चैट रूम ऐप क्लबहाउस को पिछले साल मार्च में लॉन्च किया गया था। कोरोना काल में इसे काफी लोकप्रियता हासिल हुई। इसे शुरू में सिर्फ आईओएस डिवाइस तक ही सीमित रखा गया। इसके एंड्रॉयड वर्जन को भारत में और ग्लोबली इस साल 21 मई को लॉन्च किया गया। इससे इसकी लोकप्रियता और भी बढ़ गई।
रिपोर्ट के अनुसार ये एजेंसियां इंफार्मेशन टेक्नोलाजी रूल्स, 2009, अंडर सब सेक्शन (1) सेक्शन 69 आफ इंफार्मेशन टेक्नालजा एक्ट, 2000 की वजह से नजर रखने के लिए ऑथोराइज्ड है। इस नियम की वजह से गृह मंत्रालय के सचिव किसी सरकारी एजेंसी को किसी भी कंप्यूटर रिसोर्स रखे या भेजे जाने वाले जानकारी पर नजर रखने का अधिकार देता है। इसका मकसद भारत की संप्रभुता या अखंडता का हित, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध या सार्वजनिक व्यवस्था या किसी को उकसाने से रोकने के लिए है। सरकार का ये एक्शन क्लबहाउस के टर्म्स और सर्विस के खिलाफ हो सकता है। इसके टर्म्स और कंडीशन के अनुसार ऐप में किसी स्पीकर की बातचीत उसके बिना जानकारी के रिकॉर्ड करना मना है। जबकि क्लबहाउस प्राइवेसी पॉलिसी के अनुसार क्लबहाउस रिकॉर्डिंग या दूसरे डेटा को सरकार के साथ शेयर कर सकता है।

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