नई दिल्ली। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा आयोजित 74वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में सोमवार को दुनियाभर के स्वास्थ्य मंत्रियों और वैश्विक नेताओं को संबोधित करते हुए कोविड-19 से प्रभावित गरीब, वंचित और हाशिए के बच्चों की सुरक्षा के लिए तत्काल आर्थिक सहायता और ठोस कार्रवाई की अपील की। असेंबली को ऑनलाइन संबोधित करते हुए सत्यार्थी ने स्वास्थ्य मंत्रियों से अपने देश में बच्चों के लिए विशेष बजट आवंटित करने और कार्य योजना बनाने के साथ-साथ एक टास्क फोर्स गठन करने की मांग की। बच्चों पर कोविड़-19 महामारी के पड़ने वाले व्यापक असर को देखते हुए उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की सभी एजेंसियों को एक साथ मिल कर काम करने और इंटर एजेंसी हाई लेबल ग्रुप बनाने का सुझाव दिया। इस अवसर पर उन्होंने बच्चों को प्रभावित करने वाली कोरोना की तीसरी लहर की आशंका की तरफ लोगों का ध्यान आकर्षित करते हुए कोविड-19 की वैक्सीन के लिए समर्थन जुटाने, बच्चों के टीकाकरण और टीकों पर बौद्धिक संपदा प्रतिबंधों में छूट के साथ-साथ महामारी से प्रभावित बच्चों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से बचाने के लिए तय समय सीमा में लक्षित अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय कार्य योजनाएं बनाने पर जोर दिया। सत्यार्थी ने स्वास्थ सेवा में जुटे लोगों, डॉक्टरों और अग्रिम पंक्ति के पेशेवरों सहित डब्ल्यूटीओ और उसके महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस को उनके अथक प्रयासों और कार्यों के लिए धन्यवाद भी दिया। मौजूदा हालात पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड-19 महज स्वास्थ्य और आर्थिक संकट नहीं है, बल्कि यह “न्याय का संकट, “सभ्यता का संकट” और “मानवता का संकट” भी है। सत्यार्थी ने “फेयर शेयर फॉर चिल्ड्रेन” रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया के सबसे गरीब देशों को 2020 में कोविड-19 राहत पैकेज के 8 ट्रिलियन डॉलर में से महज 0.13 प्रतिशत यानी तकरीबन 10 बिलियन डॉलर मदद के लिए दिया गया। बाकी पैसा बड़े कारपोरेट घरानों को उबारने के लिए दे दिया गया।