मदरलैंड संवाददाता, भैरोगंज
​ लद्दाख क्षेत्र के गलवान घाटी में चीन की धोखेबाजी और हिमाकत से स्थानीय लोगों में आक्रोश है। लोगों का गुस्सा चरम पर है। उनका साफ साफ कहना है कि चीन की इस धोखेबाजी और हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब देने का वक़्त है। आज का भारत 1962 का भारत नहीं है। जब चीन ने धोखे से वार कर भारत की भूमि आक्साई चीन को हड़प लिया था। इस बात का अंदाजा चीन को महज कुछ साल बीते 1967 में पता चल गया था। जब एक छोटी सी लड़ाई में भारत के 80 सैनिकों के बदले चीन के अपने 200 के करीब सैनिकों को जान गवानी पड़ी थी। दरअसल पिछले दिनों गलवान घाटी में ​भारतीय सेना और चीनी सेना के जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई। इस झड़प में भारत के 20 और चीन के करीब 43 सैनिक मरे और घायल हुए हैं। इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है। घटना को लेकर उनकी प्रतिक्रियाएं आई हैं। स्थानीय व्यास तिवारी, प्रकाश प्रसाद गुप्ता, श्रीनारायण प्रसाद जयसवाल,राजेश सिंह,अशोक सिंह, सुधाँसू सिंह,रमेश राम,रत्नेश राम,दिनेश्वर प्रसाद गुप्ता वैगरह के अनुसार चीन धोखेबाज है। उसपर विश्वास नहीं किया जा सकता। जैसा कि बर्ष 1962 में यह साबित हो चुका है। पिछले 15-16 तारीख को सेना के हवाले से आये बयान से भी यह पुनः साबित हो गया है । दरअसल 15-16 तारीख को सेना के हवाले से बताया गया था के दोनों सेनाओं के अधिकारियों की सम्मलित बैठक में निर्णय हुआ था के दोनों देशो की सेनाएं अपनी पुरानी स्थिति में लौट जाएंगी । लेकिंन धोखेबाज चीन ने अचानक हिंसक झड़प शुरू कर दी। लोगों का कहना है कि चीन को भारत की बढ़ती वैश्विक प्रतिष्ठा से चिढ़ हो रही है ।कोरोना को लेकर भारत की साख बढ़ी है । अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प खुद भारत की प्रशंसा कर चुके हैं । कोरोना पर दुनिया के निशाने पर आए चीन को तब और जोर से झटका लगा है, जब कई कंपनियां चीन को छोड़ कर भारत आ रही हैं । हाल ही में जी7 संगठन के बदले जी11 बनाने की चर्चा थी ,जिसमे भारत को जगह मिलने की बात बताई गई है तथा जिसमे चीन शामिल नहीं होगा,ऐसी बातें सतह पर आई थीं। उधर चीन पीओके से कॉरिडोर बना रहा है ।भारत ने भी एलएसी पर गलवान घाटी से होकर काराकोरम तक सैन्य सड़क बना रहा है । यहीं बात चीन को नागवार गुज़र रही है ।क्योंकि भारत की सैन्य सड़क बनाने का काम ऊंचाई पर चल रहा है ।जहाँ से चीन के कॉरिडोर पर आसानी से नजर रखा जा सकता है । भारत के अपनी सीमा में कुछ भी निर्माण करने का अधिकार है । लेकिन चीन अक्सर दबंगई दिखाता है । शायद डोलकाम कि घटना से चीन ने सबक नहीं मिला है । अब उसके दांत खट्टे करने पड़ेंगे ।उपरोक्त लोगों का कहना है के इसके लिये ​वैश्विक कूटनीति को बढ़ा कर मित्र राष्ट्रों के समक्ष चीन की हकीकत उजागर करनी होगी उनका सहयोग लेना होगा । फ्रंट लाईन पर उसपर भारी पड़ने वाली सैन्य गतिविधि सक्रिय करना जरूरी है । इसके अलावा चीन से व्यापारिक रिश्ते बन्द कर देने चाहिए ।
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