भराड़ीसैंण (गैरसैंण) को उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया गया है। इसके आदेश आज सोमवार को जारी किए गए। बता दें कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विश्व पर्यावरण दिवस पांच जून को यह एलान किया था। चिह्नित राज्य आंदोलनकारियों की मांग, गैरसैंण को बनाया जाए स्थायी राजधानी राज्य आंदोलनकारियों ने गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने तक संघर्ष जारी रखने का एलान किया है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमण की रोकथाम के मामले में सरकार को विफल बताया है।

चिह्नित राज्य आंदोलनकारी समिति की ओर से आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि छोटे प्रदेश उत्तराखंड के लिए दो-दो राजधानी का होना सही नहीं है। कहा गया कि गैरसैंण को जब तक स्थायी राजधानी घोषित नहीं किया जाता, तब तक आंदोलनकारी अपना संघर्ष जारी रखेंगे।कॉन्फ्रेंस के आयोजक और समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग लंबे समय से की जाती रही है। ग्रीष्मकालीन राजधानी के नाम पर लोगों को भ्रमित करने की कोशिश स्वीकार नहीं की जाएगी।

आपकी जानकारी के लिए बता दे की कॉन्फ्रेंस में शामिल उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, यूकेडी के नारायण सिंह, समिति के अध्यक्ष हरिकिशन भट्ट, सावित्री नेगी, अनिल जोशी आदि ने कहा कि कोरोना संक्रमण से निपटने में सराकर सफल नहीं हो पा रही है।कॉन्फ्रेंस में अमेरिका में महात्मा गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने की निंदा कर इस घटना पर चिंता जाहिर की गई। इस दौरान रंगभेद का शिकार हुए लोगों के प्रति संवेदना भी प्रकट की गई।

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