नई दिल्ली। प्रदेश में मछुआरा मल्लाह समाज की राजनीति अब दो खेमों में दिखती नज़र आ रही है। अभी तक इस जाति की राजनीति में अपने नाम के आगे पॉलिटिकल गॉडफादर ऑफ फिसरमैन लिखने वाले निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद अकेले थे। शुक्रवार से प्रदेश में मल्लाहों की राजनीति करने बिहार की धरती से ‘सन ऑफ मल्लाह’ यानी मुकेश सैनी भी कूद पड़े। मुकेश सैनी ने प्रदेश की राजनीति में कदम रखने के साथ ही गोमती नगर में पार्टी कार्यालय भी खोल दिया है। मुकेश सैनी ने महज कुछ सालों में ही बिहार की राजनीति में अपनी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को अर्श तक उठाने का काम किया। वह इस समय बिहार सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री हैं। उत्तर प्रदेश के मल्लाहों को उनका वाजिब आरक्षण दिलाने के लिए वह यहां का राजनीति में कूदे हैं। उनका एकमात्र नारा आरक्षण नहीं तो गठबंधन नहीं है। उन्होंने भरोसा जताया कि भाजपा राज्य के मल्लाहों को उनका वाजिब आरक्षण के साथ ही राजनीतिक प्लेटफार्म भी देगी। निषाद पार्टी के डा. संजय निषाद के बाबत चर्चा किए जाने पर उन्होंने कहा कि उनसे उनकी मुलाकातें और बातें होती रहती हैं। दोनों एक ही हैं और दोनों का उद्देश्य मल्लाहों को उनका हक दिलाना है।
निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद ने वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी द्वारा प्रदेश की राजनीति में दखल दिए जाने पर कहा है कि वह राज्य में निषाद आरक्षण की लड़ाई कमजोर करने आए हैं। समाज की इतनी चिंता उन्हें है तो बिहार में मंत्री का पद त्यागकर यूपी में समाज की सेवा करें। निषाद बिरादरी पर विभीषण का लेबल ना चिपकाएं। मुकेश सहनी को पहले बिहार में निषादों के आरक्षण की लड़ाई लड़नी चाहिए, वहां की सरकार ने उन्हें एससी के आरक्षण से बाहर कर दिया है। निषाद पार्टी के नेताओं ने उन्हें बिहार चुनाव में जाकर मदद की थी, उन्हें भी ऐसा ही करना चाहिए। डा. संजय निषाद ने मुकेश सहनी को भाजपा की बी-टीम करार दिया।