नई दिल्ली। कोरोना का कहर पूरे देश में जारी है, लेकिन दूसरी लहर में ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में हालात ज्यादा खराब हो गए हैं। बीते साल सितंबर में पहली लहर से तुलना की जाए, तो इन इलाकों में संक्रमण के मामलों में चार गुना का इजाफा हुआ है। यही स्थिति मौत के मामले में भी है। विशेषज्ञ लगातार दूसरी लहर के चरम पर आने की बात कर रहे हैं, लेकिन ऐसा होना अभी बाकी है। बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड यानि बीआरजीएफ के तहत आने वाले जिलों में से 243 का डेटा बताता है कि यहां 5 मई को 39.16 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित थे। जबकि, 16 सितंबर 2020 को पहली लहर के चरम पर संक्रमण का आंकड़ा 9.5 लाख था। इन जिलों में फिलहाल 7.15 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। इसके चलते ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था भी खासी प्रभावित हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार इन जिलों में बढ़ते मौत के आंकड़ों की भी शायद यही वजह रही है। 5 मई को 243 जिलों को मिलाकर मौत के आंकड़े 36 हजार 523 दर्ज किए गए थे। पहली लहर में प्राप्त आंकड़ों से यह संख्या 4 गुना अधिक है। 16 सितंबर 2020 तक इन जिलों में कुल 9 हजार 555 मौतें हुई थीं। खास बात है कि बीआरजीएफ में दर्ज 272 जिलों में से करीब 54 फीसदी जिले केवल 5 राज्यों में हैं।
इनमें सबसे ज्यादा 38 जिले बिहार के हैं, जबकि, 35 जिले उत्तर प्रदेश, 30 मध्य प्रदेश, 23 झारखंड, 20 ओडिशा के हैं। देश के कई शहरी इलाकों में इन राज्यों के प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में काम कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पहली लहर की तुलना में इन क्षेत्रों में संक्रमण का प्रतिशत उतना ही बना हुआ है, लेकिन इन जिलों में मौत की संख्या तेजी से बढ़ी है। बीते साल 16 सितंबर तक इन जिलों में राष्ट्रीय स्तर पर 11.5 फीसदी मौतें थीं। जबकि, 5 मई को यह आंकड़ा बढ़कर 16 फीसदी पर पहुंच गया।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन 272 जिलों में से ज्यादातर में केवल बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं ही हैं। राज्यों की तरफ से नई संरचना अधिकांश तौर पर बड़े शहरों में की जा रही है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि इन क्षेत्रों के लोग इलाज के लिए शहरों का रुख कर रहे हैं और पहले से ही भारी दबाव का सामना कर रहे शहरी अस्पतालों में व्यवस्था पर तनाव और बढ़ रहा है।

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