वॉशिंगटन । आज दुनिया के कई देशों के साथ अमेरिका भी ग्लोबल वार्मिंग को लेकर परेशान है। अमेरिका ने इसके प्रभावों को कम करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। व्हाइट हाउस ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों को कैसे कम करे, इस पर रिसर्च करेगा। इस शोध में पृथ्वी पर पहुंचने वाले सूर्य के प्रकाश की मात्रा को संशोधित करने के तरीकों का अध्ययन होगा। पांच साल की रिसर्च की योजना का व्हाइट हाउस समन्वय कर रहा है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे कभी-कभी सौर जियोइंजीनियरिंग या सूर्य का प्रकाश परावर्तन कहा जाता है।
खबरों के मुताबिक रिसर्च योजना जलवायु हस्तक्षेपों का आकलन करेगी, जिसमें अंतरिक्ष में सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करने के लिए समताप मंडल में एरोसोल का छिड़काव करना शामिल है। व्हाइट हाउस के साइंस एंड टेक्नोलॉजी नीति कार्यालय के अनुसार इस रिसर्च के लक्ष्य में वातावरण का विश्लेषण करने के लिए क्या आवश्यक है, और इस प्रकार के जलवायु हस्तक्षेपों का पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ सकता शामिल है। राष्ट्रपति जो बाइडन ने रिसर्च योजना पर मार्च में हस्ताक्षर किये थे। वहीं वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी के तापमान में संभावित विनाशकारी वृद्धि के खिलाफ इन जोखिमों को संतुलित करने के लिए शोध करना काफी जरुरी है। गौरतलब है कि किसी विषय पर शोध करने के लिए तैयार होना एक बहुत ही प्रारंभिक कदम है, लेकिन यह उल्लेखनीय है कि व्हाइट हाउस औपचारिक रूप से उस चीज से जुड़ रहा है जिसकी चपेट में आज विश्व का लगभग हर देश है। हार्वर्ड के प्रोफेसर डेविड कीथ ने पहली बार 1989 में इस विषय पर काम किया था। उन्होंने कहा कि अब इस और अधिक गंभीरता से लिया जा रहा है। वह पर्यावरण रक्षा कोष, चिंतित वैज्ञानिकों के संघ, प्राकृतिक संसाधन रक्षा परिषद से सूर्य के प्रकाश के प्रतिबिंब के शोध के लिए समर्थन के औपचारिक बयानों की ओर इशारा करते हैं, और एक नए समूह के निर्माण की सलाह देते हैं।

Previous article15 अक्तूबर 2022
Next articleयूक्रेन के चार प्रांत को हड़पने के रुसी प्रयास को अंतरराष्ट्रीय समुदाय नहीं देगा मान्यता

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here