हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान महिलाओं और बच्चों के साथ हिंसा की घटनाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने दिल्ली सरकार, राष्ट्रीय महिला आयोग, दिल्ली महिला आयोग और केंद्रीय महिला और बाल कल्याण मंत्रालय को नोटिस जारी किया है. याचिका एक एनजीओ ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ ह्यूमन राईट्स लिबर्टीज एंड सोशल जस्टिस ने दायर किया है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील मिथु जैन, अर्जुन स्याल और विदिशा कुमार ने कहा कि दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली में 17 प्रोटेक्शन अफसर नियुक्त किए हैं. इन प्रोटेक्शन अफसरों के नंबर लोगों को मालूम नहीं हैं. जो महिलाएं घरों में कैद हैं और हिंसा की शिकार हो रही हैं, वे इन नंबरों को नहीं जानती हैं. इसलिए प्रोटेक्शन अफसरों के नंबरों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि क्या कोरोना महामारी को आपदा प्रबंधन अधिनियम की परिभाषा के तहत आपदा घोषित किया जा सकता है. कोर्ट ने जरुरी सामानों की आपूर्ति के प्रबंधन के लिए नियुक्त नोडल अफसरों से कहा कि वे घरेलू हिंसा के मामलों को भी देखें.
पीड़ित महिलाओं और बच्चों की मदद की मांग
याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं और बच्चों की मदद के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने के लिए दिशानिर्देश दिया जाए. याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के मामलों में खासी बढ़ोतरी हुई है. इस दौरान बच्चों का भी शोषण किया जा रहा है. इस दौरान बच्चे अपने सामाजिक नेटवर्क से भी दूर रहते हैं, जिसकी वजह से वे किसी से शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं.
11 दिनों में 92 हजार शिकायतें मिलीं
याचिका में कहा गया है कि लॉकडाउन के पहले 11 दिनों में ही देशभर के हेल्पलाइन नंबरों पर करीब 92 हजार घरेलू हिंसा और बच्चों के शोषण की शिकायतें मिली हैं. घरेलू हिंसा की वजह से महिलाओं के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ा है. याचिका में घरेलू हिंसा की शिकायतों को दर्ज करने के लिए हेल्पलाइन नंबर स्थापित करने की मांग की गई है.
अस्थायी शेल्टर होम स्थापित करने की मांग
याचिका में लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा के शोषण की शिकार महिलाओं और बच्चों को काउंसलिंग और दूसरी सहायता उपलब्ध कराने के लिए नोडल अफसरों की नियुक्ति की मांग की गई है. याचिका में पीड़ित महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए अस्थायी शेल्टर होम स्थापित करने की मांग की गई है.