नई दिल्ली। देश में एक के बाद एक आए दो तूफानों से कई राज्यों में इंश्योरेंस कंपनियों का खर्चा बढ़ गया है। शुरुआती आकलन के मुताबिक, ताउते और यास तूफान की वजह से कंपनियों पर इस साल करीब एक हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त क्लेम सेटेलमेंट करना पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक, साल दर साल आने वाले इन तूफानों की वजह से अब कंपनियां आने वाले साल में इंश्योरेंस के नियम और सख्त कर सकती हैं। इंश्योरेंस कंपनियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, कंपनियां आने वाले सालों में दुकानों और घरों का बीमा करने से पहले न सिर्फ उनकी मजबूती का पूरा मुआयना करेंगी बल्कि बढ़ते खर्च को काबू में करने की कोशिश भी करेगी। साथ ही ऐसी जगहों पर इंश्योरेंस देते समय इंफ्रास्ट्रक्चर और मजबूत करने को कहा जाएगा। इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनियां इन बातों पर भी ध्यान देंगी कि जिन इलाकों में बार-बार तूफान आ रहा है वहां इसके बचाव और होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हों। कोरोना महामारी के बाद कंपनियों पर क्लेम का बोझ लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में कंपनियों ने सामूहिक बीमा और कॉरपोरेट इंश्योरेंस में भी बीमा की दरों में 5 फीसदी का इजाफा किया है। तूफानों के बाद के इश्योरेंस क्लेम निपटारे को तेज और आसान बनाने के लिए भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण यानी आईआरडीएआई ने भी सभी कंपनियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। आईआरडीएआई ने कंपनियों से कहा है कि प्रभावित जिलों में तुरंत नोडल अधिकारी की नियुक्ति हो ताकि क्लेम की रफ्तार में रुकावट न आ सके। कंपनियों को प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना से जुड़े दावों के भी तेज निपटारे के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि इन प्रक्रियाओं को तेज बनाने के साथ-साथ आसान भी बनाया जाए। क्लेम की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए कंपनियों से ज्यादा सर्वेयर नियुक्त करने को कहा गया है। कोरोना महामारी के दौर में ज्यादा से ज्यादा कागजी कामकाज को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से करने की भी हिदायत दी गई है।