नई दिल्ली। लोजपा बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद से ही पशुपति कुमार पारस और चिराग पासवान के बीच खाई बन गई थी। रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग की इच्छा के विरुद्ध मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पक्ष में बयान देकर पारस ने इस खाई को और चौड़ा कर दी। तब चिराग की नाराजगी के कारण उन्होंने अपना बयान तो बदल दिया लेकिन ‘अपमान’ की चिंगारी सुलगने लगी, जो अब ज्वाला बन चुकी है। लोजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद से ही चिराग पासवान बिहार की कमान अपने किसी पसंदीदा व्यक्ति को देना चाहते थे। वह पशुपति कुमार पारस को इस पद से मुक्त करने की फिराक में पहले दिन से लगे रहे। लेकिन, रामविलास पासवान की इच्छा के विरुद्ध वह यह काम कर नहीं पा रहे थे। लेकिन, रामचन्द्र पासवान की मौत के बाद उन्हें मौका मिल गया। पारस को दलित सेना का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर अपने पिता को सहमत करा लिये रामविलास की मौत के बाद मीडिया को दिए गए बयान में पारस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ कर दी। चिराग की नाराजगी इससे और बढ़ गई। तब उहोंने प्रिंस राज को भेजकर अपने चाचा पशुति कुमार पारस को श्रीकृष्णापुरी आवास बुलाया। अभी स्व. पासवान का श्राद्धकर्म भी नहीं हुआ था। लिहाजा चिराग ने उन्हें बयान बदलने को कहा। पशुपति पारस ने मीडिया को बुलाया और अपने बयान से पलट गए। तब से ही वह अपमानित महसूस कर रहे थे। लेकिन, इस बीच प्रिंस राज चिराग के साथ थे और वह दोनों के बीच सेतु का काम कर रहे थे। लेकिन, धीरे-धीरे प्रिंस के काम से भी चिराग नाराज हो गए। उन्होंने विधायक दल के नेता राजू तिवारी को तब सारे काम सौंप दिए। अब बचा-खुचा एकमात्र सांसद सहयोगी भी उनके विरोधी खेमे में चला गया। यही कारण है कि चिराग आज अपनी ही पार्टी में अलग-थलग पड़ गए।

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