लखनऊ। अब ब्लैक फंगस के मरीज एस्परजिलस फंगस की चपेट में आ रहे हैं। राजधानी लखनऊ में अब तक इस फंगस के 17 मरीज मिल चुके हैं। दो तरह का यह फंगस 30 से 45 साल की युवाओं में ज्यादा मिल रहा रहा। इन दोनों फंगस के लक्षण समान हैं। इस फंगस की पहचान फंगल कल्चर और साइनस नेजल एंडोस्कोपिक बायोप्सी से होती है। पीजीआई के ब्लैक फंगस वार्ड व ईएनटी सर्जन डॉ. अमित केसरी बताते हैं कि ब्लैक फंगस के कुछ मरीजों में एस्परजिलस फंगस की पुष्टि हुई है। यह फंगस पोस्ट कोविड व ब्लैक फंगस के तीन फीसदी मरीजों को चपेट में रहा है। भर्ती होने वाले मरीजों में फंगस के लक्षण कोरोना से मुक्त होने के एक हफ्ते बाद सामने आए हैं। डॉ. अमित केसरी बताते हैं कि यह अच्छी बात है कि एस्परजिलस ब्लैक फंगस के मुकाबले शरीर को कम नुकसान पहुंचा रहा है। इसका इलाज दवाओं से संभव है। राजधानी में अब तक इस फंगस के 17 मरीज सामने आए हैं। पीजीआई में छह, केजीएमयू में छह, लोहिया में दो व निजी में तीन मरीज मिला है। पीजीआई के पैथालॉजी के डॉ. राम नवल बताते हैं कि एस्परजिलस फंगस की पहचान फंगल कल्चर और बायोप्सी से की जाती है। पीजीआई में अब तक 15 मरीजों में इस फंगस की पुष्टि हो चुकी है। डॉ. नवल बताते हैं कि यह फंगस पुराना है। यह फंगस कम प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों में ज्यादा मिला रहा है। पोस्ट कोविड मरीजों में यह फंगस ज्यादा मिला है। डॉ. नवल बताते हैं कि पौष्टिक भोजन व संयमित जीवन शैली वाले लोग इस फंगस से बच सकते हैं।

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