पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चल रहे सैन्य गतिरोध को दूर करने में अब चीन की जरा सी भी दिलचस्पी नहीं है। इसीलिए वह विवाद को खत्म करने के बजाए और भड़काने में लगा है। वैश्विक स्तर पर एलएसी विवाद में भारत को मिल रहे समर्थन से चीन नाराज है और सीमा पर ऐसी हरकतें कर रहा है, जो दोनों देशों के लिए ठीक नहीं होगा। एलएसी पर चल रहे विवाद के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस क्षेत्र में अपनी सेना की कमान एक नए जनरल के हाथों में सौंप दी है। केंद्रीय मिलिट्री आयोग (सीएमसी) के मुखिया के तौर पर शी जिनपिंग ने जनरल झेंग डांग को एलएसी से सटे इलाके की देखरेख करने वाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की वेस्टर्न थिएटर कमांड का कमांडर नियुक्त किया है। सरकारी स्वामित्व वाली शिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने खुलासा किया कि शी जिनपिंग ने जनरल झेंग समेत चार वरिष्ठ चीनी सेना एवं सशस्त्र पुलिस अधिकारियों को प्रोन्नति दी है। जनरल झेंग 65 वर्षीय जनरल झाओ जांग की जगह लेंगे, जिन्हें वर्ष 2017 में डोकलाम में भारतीय सेना के साथ गतिरोध के दौरान वेस्टर्न थिएटर कमांड की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
प्रोन्नति पाने वाले अन्य अधिकारियों में सीएमसी के लॉजिस्टिक सपोर्ट विभाग के राजनीतिक कामिसार गुओ पुक्सिओ, पीएलए स्ट्रेटेजिक सपोर्ट फोर्स के राजनीतिक कामिसार ली वेई और कमांडर वांग चुनिंग शामिल हैं। हालांकि इन सबके बीच जनरल झेंग की नियुक्ति को ही सबसे ज्यादा हैरानी से देखा जा रहा है। इसे पूर्वी लद्दाख में शून्य से कई डिग्री नीचे जमा देने वाली ठंड में भी भारतीय जवानों की अडिगता और बहादुरी के सामने पीएलए के जवानों के गिरते हौसलों को कारण माना जा रहा है। हालांकि जनरल झेंग के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध नहीं है। फिर भी कहा जाता है कि जनरल झेंग का अधिकतर करियर पीएलए की अन्य थिएटर कमांडों में नियुक्ति पर गुजरा है। इस कारण वेस्टर्न थिएटर कमांड के बारे में उनके ज्ञान का भी किसी को अंदाजा नहीं है। यह नियुक्ति सीमा पर तनाव बढ़ाने का काम करेगी।
कुछ विशेषज्ञों ने इसे जिनपिंग का पूर्वी लद्दाख में गतिरोध खत्म करने के लिए सही हल तलाशने को उठाया गया कदम भी मान रहे हैं, क्योंकि झाओ के नेतृत्व में चीन और भारत के बीच राजनयिक एवं सैन्य वार्ताओं के कई दौर होने के बावजूद अभी तक तनाव कम नहीं हुआ है। चीन को लेकर भारत हमेशा से सतर्क रहा है और मानकर चल रहा है कि वह बिना सौदेबाजी किए मानने वाला नहीं है। इसी को ध्यान में रखकर भारत आगे बढ़ रहा है और चीन से बातचीत में इसे रख भी रहा है। हालांकि, भारत दो टूक कह चुका है कि चीन के पीछे हटने तक सेना सीमा पर डटी रहेगी। पूर्वी लद्दाख में इस समय हाड़ कंपा देने वाली ठंड हैै। यह समय मानवता दिखाने का है न कि कूटनीतिक और सैन्य रंग दिखाने का।

Previous article सिखों को मनाने की कवायद
Next articleआंदोलनकारी किसानों ने नकारे सरकार के दावे

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here