अबू धाबी । चीन, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में एक बंदरगाह परियोजना पर काम कर रहा है। इसको लेकर अमेरिका की चिंताएं बढ़ गई हैं। बाइडन प्रशासन, अबू धाबी के पास चीनी बंदरगाह परियोजना को रोकने के लिए यूएई पर दबाव बना रहा है। अमेरिका का मानना है कि इसके पीछे चीन के सैन्य उद्देश्य छिपे हो सकते हैं।
अमेरिका खुफिया एजेंसियों ने खलीफा पोर्ट पर एक बड़ी बिल्डिंग के निर्माण के लिए विशालकाय गड्ढा खोदे जाने का पता लगाया है। यह जगह अबू धाबी के उत्तर में 80 किमी की दूरी पर स्थित है, जहां चीन के कास्को शिपिंग समूह ने एक बड़ा कमर्शियल कंटेनर टर्मिनल बनाया है, इसका संचालन शुरू हो चुका है। कहा जा रहा है कि इस साल की शुरुआत में जांच से बचने के लिए इस साइट को कवर किया गया था।
अमेरिका को डर है कि चीन व्यापार सौदों और वैक्सीन कूटनीति के माध्यम से वैश्विक प्रभाव हासिल करने के अपने उद्देश्यों के तहत तेल संपन्न देश में एक सैन्य उपस्थिति स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। यह रिपोर्ट सामने आने के बाद अमेरिका में अधिकारियों की बैठकों और यात्राओं का सिलसिला शुरू हो गया है। इसके साथ ही ह्वाइट हाउस ने चेतावनी दी है कि चीन की सैन्य उपस्थिति दो पुराने सहयोगियों के बीच संबंधों को खतरे में डाल सकती है।
सूत्रों के अनुसार यूएई सरकार चीन की गतिविधियों की सैन्य प्रकृति से पूरी तरह से अनजान है। वाशिंगटन में संयुक्त अरब अमीरात दूतावास के एक प्रवक्ता ने बताया कि चीनी सैन्य अड्डे या किसी तरह की चौकी की मेजबानी करने के लिए यूएई ने न ही कोई समझौता किया है और न उसका ऐसा कोई इरादा है। अमेरिका में चीन के दूतावास ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मई और अगस्त में अबू धाबी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद के साथ बातचीत के दौरान देश में चीन की बढ़ती उपस्थिति के बारे में चिंता व्यक्त की थी।
बाइडन ने बताया था कि चीन की गतिविधि उनकी संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती है। चीन खाड़ी देशों के बीच अपनी पहुंच को मजबूत करने में जुटा है। चीन मिस्र और सऊदी अरब में इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने और ईरान के संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ क्षेत्र के लगभग हर देश के लिए एक भागीदार की भूमिका निभा रहा है।