नई दिल्ली। पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान और अगले साल यूपी सहित महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव को देखकर मोदी सरकार ने तेल के दामों में बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है। रिपोर्ट के मुताबिक तेल के क्षेत्र के विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों के अनुसार तेल कंपनियां निकट भविष्य में कीमतें और नहीं बढ़ाएंगी। हाल ही के महीनों में तेल के दामों में कई बार इजाफा होने से कीमत 100 रुपए तक पहुंच गई थी। जनता में पल रहे आक्रोश और चुनावों के मद्देनजर सरकार भी इससे चिंतित दिख रही है, इसका पड़ने वाले दूरगामी असर को देखकर फैसला किया गया है। गौरतलब है कि पिछले साल बिहार चुनाव के समय भी तेल के दाम नहीं बढ़े थे।
राजस्थान के गंगानगर में पिछले महीने तेल की कीमत 100 रुपए तक पहुंच गई थी।इसके बाद मोदी सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुद स्वीकार किया था कि तेल की कीमत बढ़ना हमारे लिए धर्मसंकट है। इससे बीजेपी को पेट्रोल एवं डीजल की रिकॉर्ड कीमतों को लेकर दबाव का सामना करना पड़ रहा है। पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी के साथ ही एलपीजी (रसोई गैस) के दाम भी 1 फरवरी से करीब 125 रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ चुके हैं। मोदी सरकार से जुड़े दो लोगों ने कहा कि केंद्र ने अनौपचारिक तौर पर तीनों तेल कंपनियों को फिलहाल दाम नहीं बढ़ाने के लिए कहा है।
बढ़ते महंगाई के बीच अंदरुनी हल्कों में पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया जा रहा है। केंद्र और राज्यों के बीच ईंधन पर टैक्स की कटौती और वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में लाने की चर्चा के बाद इस बारे में औपचारिक निर्देश दिया जा सकता है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कुछ राज्यों द्वारा पेट्रोल और डीजल पर कर में कटौती की है, लेकिन खुदरा कीमतों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। पेट्रोल-डीजल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के पीछे इस पर लगने वाले कर का भी अहम रोल है।इसकारण इस पर कर घटाने की मांग की जा रही है। उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल ने पेट्रोल और डीजल पर 1 रुपए प्रति लीटर कर की कटौती की है। राजस्थान ने सबसे पहले 29 जनवरी को पेट्रोल-डीजल पर मूल्यवर्धित कर को 38 फीसदी से घटाकर 36 फीसदी कर दिया था। चुनावी राज्य असम ने पिछले साल कोरोना से लड़ने के लिए कोष जुटाने की खातिर अतिरिक्त 5 रुपए प्रति लीटर का कर लगाया था जिसे वापस ले लिया गया है। मेघालय ने पेट्रोल पर 7.4 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 7.1 रुपए प्रति लीटर कर कटौती की है।
अगर सरकार की बात तेल कंपनियां मान लेती है,तब उनके मुनाफा मार्जिन में कमी आ सकती है। इससे तेल कंपनियों की चिंता बढ़ सकती है। हालांकि वित्त मंत्रालय ने कुछ रियायत के साथ दाम नहीं बढ़ाने को कहा है। इसके तहत तेल कंपनियों को रुपए में स्थिरता की सुविधा या मार्केटिंग मार्जिन में राहत दी जा सकती है। कैपिटलवाया ग्लोबल रिसर्च में लीड विश्लेषक क्षितिज पुरोहित ने कहा कि चुनावों को देखते हुए दो महीने तक ईंधन की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करने से तेल कंपनियों के मुनाफा मार्जिन में 100 आधार अंक की कमी आएगी।

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