कलकत्ता। कलकत्ता हाईकोर्ट के एक न्यायाधीश ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को एक कथित पत्र लिख नारदा स्टिंग मामले में न्यायालय और अन्य जजों द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। पत्र में उन्होंने ‘अनुचित व्यवहार’ का आरोप लगाते हुए कोर्ट की तीखी आलोचना की है। जस्टिस अरिंदम सिन्हा ने अपने पत्र में लिखा है कि हमें (हाईकोर्ट को) एक मजाक में बदल दिया गया है। इसने न्यायपालिका को हैरान कर दिया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 24 मई को लिखे पत्र में जस्टिस सिन्हा ने आरोप लगाया है कि नारद मामले को बंगाल से बाहर ट्रांसफर करने के लिए सीबीआई के ई-मेल केआधार पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने गलत तरीके से एक पीठ के बजाय दो जजों की पीठ के सामने सुनवाई के लिए अधिसूचित कर दिया। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और दूसरे जजों को लिखे पत्र में सिन्हा ने कहा है कि हाईकोर्ट को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। हमारा आचरण हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक नहीं है। केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने बंगाल के दो मंत्रियों सहित चार बड़े नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद 17 मई को हाईकोर्ट को एक ई-मेल भेजा था। चीफ जस्टिस बिंदल की अध्यक्षता वाली पीठ ने उसी दिन सीबीआई के अनुरोध पर सुनवाई की और तृणमूल नेताओं की जमानत पर रोक लगा दी। सीबीआई ने अपने ऑफिस में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के धरने और गेट के बाहर जमा तृणमूल समर्थकों की भीड़ का हवाला देते हुए मामले को ट्रांसफर करने को कहा था। यह भी आरोप लगाया गया था कि राज्य के कानून मंत्री भीड़ के साथ कोर्ट पहुंचे थे। यह दिखाता है कि राज्य सरकार माहौल खराब कर रही है और जांच करने वालों के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है। जस्टिस सिन्हा ने लिखा है कि सीबीआई की केस ट्रांसफर की याचिका पर सिंगल जज को सुनवाई करनी चाहिए थी। इसे रिट पिटीशन की तरह नहीं माना जाना चाहिए था, क्योंकि यह संविधान से जुड़ा कानून का कोई बड़ा सवाल नहीं था।