अहमदाबाद| मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि राज्य सरकार और सरकार के लाखों कर्मचारी एवं अधिकारी गुजरात के नागरिकों के सहयोग से गत एक वर्ष से दिन-रात एक कर कोरोना को पराजित करने के एकमात्र ध्येय के साथ जूझ रहे हैं ताकि गुजरात की जनता को कम से कम तकलीफ हो। आज हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से एडव्होकेट जनरल की ओर से राज्य सरकार द्वारा कोरोना काल में किए गए विस्तृत कार्य की जानकारी दी गई। माननीय हाई कोर्ट ने सुनवाई के अंत में ऑर्डर जारी किया है जिसमें केवल यह कहा गया है कि १४ अप्रैल को स्वास्थ्य विभाग की प्रधान सचिव एक हलफनामा दायर करे और राज्य सरकार द्वारा कोरोना के संदर्भ में किए गए कार्यों का ब्यौरा पेश करे। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट ने गुजरात में कोरोना के संदर्भ में निर्देश और मार्गदर्शन दिया है। मैं निश्चित रूप से यह मानता हूं कि पूरे विश्व में कोरोना की स्थिति चिंताजनक है और गुजरात उससे अछूता नहीं है, क्योंकि भारत के हरेक राज्य और शहर में कोरोना का संक्रमण बढ़ा है और कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं और सरकार को उसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, टेस्टिंग, ट्रेसिंग, ट्रीटमेंट और एन्फोर्समेंट की व्यवस्था करनी होती है। उन्होंने दावे के साथ कहा कि पिछले एक वर्ष से गुजरात सरकार ने गुजरात की जनता के लिए दिन-रात कार्य और निर्णय किए हैं। राज्य सरकार ने वित्तीय खर्च की जरा भी चिंता किए बिना प्रयास किए हैं और इसलिए ही गुजरात अन्य राज्यों की तुलना में आज बेहतर परिस्थिति में है। परिस्थिति को नियंत्रण में रखने में राज्य सरकार सफल रही है। इतना ही नहीं, इस कार्य में स्वास्थ्य और पुलिस विभाग के अलावा राज्य सरकार के कई कर्मचारी व अधिकारियों ने अपनी जान गंवाई है। कई तो संक्रमण की चपेट में भी आए हैं, इसके बावजूद अपनी जान की परवाह किए गैर सभी ने साथ मिलकर प्रशंसनीय कार्य किया है। रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर माननीय हाई कोर्ट की चिंता के संदर्भ में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि पूरे भारत में रेमडेसिविर इंजेक्शन के चुनिंदा उत्पादक हैं। गुजरात ने आसाम से लेकर मुंबई तक अनेक उत्पादकों से संपर्क स्थापित कर ज्यादा से ज्यादा रेमडेसिविर इंजेक्शन की खेप हासिल की है। प्रतिदिन लगभग २५ हजार इंजेक्शन उपलब्ध हो रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क और निजी अस्पतालों में लागत मूल्य पर रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। ऐसे में जब रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन सीमित है, तब हर डॉक्टर हर मामले में उसका उपयोग करता है, तो इससे निपटना स्वाभाविक रूप से मुश्किल होता है। उल्लेखनीय है कि गुजरात में जनवरी में २०,६८३ रेमडेसिविर इंजेक्शन की आवश्यकता थी। फरवरी में १९,८२५ और मार्च में १,६३,७१५ रेमडेसिविर इंजेक्शन का इस्तेमाल किया गया था। जबकि अप्रैल के इन १० दिनों में २,१४,५७८ रेमडेसिविर इंजेक्शन निजी अस्पतालों के लिए उपलब्ध कराए गए हैं। वहीं, सरकारी अस्पतालों में जनवरी में १०,०००, फरवरीर में २५,४००, मार्च में २०,८०० और अप्रैल के बीते १० दिनों में १,३६,९५० रेमडेसिविर इंजेक्शन निःशुल्क मुहैया कराए गए हैं। इस तरह, पिछले १० दिनों में ही सरकारी और निजी अस्पतालों समेत कुल मिलाकर ३,५०,००० से अधिक रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। मुख्यमंत्री ने नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन का संग्रह करने की मानसिकता से बाहर निकलकर जहां आवश्यकता हो, केवल वहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन का उपयोग करना चाहिए। जायडस को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात की जनता को रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराने का उनका प्रयास प्रशंसनीय है। सरकारी के अलावा निजी अस्पतालों के लिए भी राज्य सरकार रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराकर जनता के हित में काम कर रही है। आगामी समय में भी राज्य सरकार अपना यह प्रयास जारी रखेगी। रेमडेसिविर इंजेक्शन के उत्पादकों को प्रोडक्शन बढ़ाने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसके बावजूद यदि मांग इसी तरह बढ़ती रही तो सीमा के अंदर ही काम करना होगा। इंजेक्शन की खेप सीमित है, ऐसे में सर्वप्रथम प्राथमिकता कोविड हॉस्पिटल में भर्ती गंभीर मरीजों को देनी पडेगी, उसके बाद निजी हॉस्पिटलों के गंभीर मरीजों को देना पड़ेगा। जैसे-जैसे खेप उपलब्ध होती है, वैसे-वैसे ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर सभी गंभीर मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन देने की व्यवस्था की गई है। रूपाणी ने कहा कि कोरोना बड़ी वैश्विक आपत्ति है। सरकारों के लिए यह मानव जाति की सेवा अवसर है। गुजरात सरकार सभी को साथ रखकर तन, मन और धन से सेवा में जुटी है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था करने में भी गुजरात अग्रणी है। राज्य के कुल उत्पादन में से ७० फीसदी ऑक्सीजन कोविड के मरीजों के लिए आरक्षित रखा गया है। गुजरात शायद एकमात्र ऐसा राज्य है जहां ऐसी व्यवस्था की गई है। राज्य सरकार ने हिम्मतपूर्वक ऐसा निर्णय किया है। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण बहुत तेजी से फैला है, तब अस्पतालों में बेड की कमी से निपटने के लिए राज्य सरकार ने युद्धस्तर पर प्रयास किए हैं। नए कोविड अस्पताल, कोविड हेल्थ सेंटर और कोविड केयर सेंटर शुरू किए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के सहयोग से अहमदाबाद के जीएमडीसी कन्वेंशन सेंटर में ऑक्सीजन के साथ ९०० बेड की व्यवस्था स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से हमने निवेदन किया है और हमें उम्मीद है कि जल्द ही यह व्यवस्था कार्यान्वित हो जाएगी। अहमदाबाद में फिलहाल ११,००० बेड की व्यवस्था है। इसके साथ ही एलजी हॉस्पिटल और वीएस हॉस्पिटल में नए २००-२०० बेड की सुविधा शुरू की जाने वाली है। ७५० बेड अन्य नर्सिंग होम में लगाए गए हैं। इस तरह पिछले दस दिनों में कुल ५००० के करीब बेड की सुविधा बढ़ाई गई है। अहमदाबाद में १४२० संजीवनी रथ के जरिए घर-घर जाकर लगभग २०,००० कोरोना मरीजों को उपचार मुहैया कराया जा रहा है। १५० धन्वंतरि रथ के माध्यम से ७००० लोगों की जांच की गई है। मुफ्त टेस्टिंग सुविधा के लिए १०० डोम स्थापित किए गए हैं, जहां प्रतिदिन करीब ३५,००० लोगों की टेस्टिंग हो रही है। अहमदाबाद में ३०० वैक्सीनेशन सेंटर पर प्रतिदिन २५ हजार लोगों का टीकाकरण हो रहा है और ४०० माइक्रो कंटेन्मेंट जोन हैं, जहां लोगों की देखभाल रखी जा रही है। ऐसी व्यवस्था में कई कर्मचारी शामिल हैं। वडोदरा की परिस्थिति के संबंध में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि लगभग २५० संजीवनी रथ और ३४ धन्वंतरि रथ के जरिए मरीजों का घर-घर उपचार किया जा रहा है। गत दो सप्ताह में अस्पतालों में बेड की संख्या ४००० से बढ़ाकर १०,००० की गई है, जिसमें १८०० आईसीयू बेड और ८०० वेंटिलेटर वाले बेड शामिल हैं। सूरत में २०० धन्वंतरि रथ और १५० संजीवनी रथ के माध्यम से घर-घर जाकर उपचार सुविधा प्रदान की जा रही है। पिछले १० दिनों में ३००० बेड बढ़ाए गए हैं। आज सूरत में बेड की संख्या बढ़कर १०,००० हो गई है। उधर, राजकोट में ६८ धन्वंतरि रथ और २५ संजीवनी रथ के जरिए मरीजों को घर बैठे उपचार सुविधा दी जा रहीहै। राजकोट शहर में गत १५ दिनों में १५०० बेड बढ़ाए गए हैं। राजकोट शहर में कुल ४३०० बेड उपलब्ध हैं और आगामी १० दिनों में और २४०० बेड की सुविधा स्थापित की जाएगी। गुजरात में टेस्टिंग की स्थिति की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि गुजरात में मार्च महीने के दौरान प्रतिदिन ३०,००० टेस्ट किए गए थे। आज राज्य में प्रतिदिन १,४०,००० टेस्ट किए जा रहे हैं। आगामी दिनों में और १३ जिलों में आरटी-पीसीआर टेस्ट की सुविधा शुरू की जाएगी। आरटी-पीसीआर टेस्ट में भी बड़े पैमाने पर बढ़ोतरी की गई है। मार्च महीने की शुरुआत में राज्य में ८००० आरटी-पीसीआर टेस्ट किए जाते थे, जबकि आज लगभग ६५,००० आरटी-पीसीआर टेस्ट किए जा रहे हैं और एक सप्ताह में सरकारी लेबोरेटरियों में टेस्टिंग की क्षमता को दोगुना किया जाएगा। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि राज्य के कई शहरों में कोविड-१९ के बढ़ते संक्रमण के चलते कई निर्णय लिए गए हैं। १४ अप्रैल से लागू होने वाले इन निर्णयों के तहत विवाह समारोह में अब बंद या खुली जगहों में ५० से अधिक व्यक्ति एकत्रित नहीं हो सकेंगे। जिन शहरों में रात्रि कर्फ्यू लगाया गया है वहां कर्फ्यू की अवधि के दौरान विवाह समारोह का आयोजन नहीं सकेगा। मृत्यु के मामले में भी अंतिम संस्कार या उत्तर क्रियाओं में ५० से अधिक व्यक्तियों के एकत्रित होने पर प्रतिबंध लगाया गया है। गुजरात में सार्वजनिक रूप से राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक कार्यक्रमों, सत्कार समारोह, जन्मदिवस उत्सव या अन्य समारोहों के आयोजन पर तत्काल प्रभाव से संपूर्ण प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया गया है। अप्रैल और मई महीने के दौरान आने वाले सभी धर्मों के त्यौहारों को सार्वजनिक तौर पर मनाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। उन्होंने नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि वे अपने सभी त्यौहार अपनी आस्था के अनुसार घर में परिवार के साथ मनाएं। राज्य सरकार के कार्यालय, अर्धसरकारी कार्यालय, बोर्ड-निगम तथा सभी निजी कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति ५० फीसदी तक रखने या कर्मचारियों को अल्टरनेट डे ड्यूटी पर बुलाने की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्णय किया है। रूपाणी ने कहा कि राज्य के सभी धार्मिक स्थान ३० अप्रैल तक जनता के लिए बंद रखने की अपील की जाती है। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थानों पर दैनिक पूजा विधि को पुजारी और संचालक सीमित लोगों के साथ करें यह उपयुक्त होगा। अंत में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि कोरोना की रिकवरी रेट करीब ९४ फीसदी है जबकि मृत्यु दर १.४ फीसदी है अर्थात गुजरात सरकार के सघन प्रयासों के परिणामस्वरूप ९५ फीसदी लोग स्वस्थ होकर घर पहुंचे हैं।