मदरलैंड सम्वादाता, भैरोगंज
कोरोना का खौफ शाहनाईयों पर भारी है। शादी-विवाह के मौसम का अब यह आखिरी चरण चल रहा है। कोरोना के इस ख़ौफ और इससे निजात दिलाने वाले लागू ‘लॉक डाउन’ में न जाने कितनी कन्याओं के हाथ पीले होने से रह गए। वहीं बहुत से युवक भी ऐसे थे, जिनके सर पर दूल्हे का सेहरा सजते सजते रह गया। कहना न होगा, इस लॉकडाउन में शादी-ब्याह जैसे समारोह अरेंज नही किये जा सके।अलबत्ता, जिनकी शादी तय हो गयी थी,उन्हें क्या पता था के ऐनवक्त कोरोना उनके साथ साजिश करेगा..!
खैर, उन्होंने अपनी शादी के लिए न जाने कितने अरमान पाल रखे थे। लेकिन इस महामारी कोरोना ने अपने तत्काल प्रभाव से उन युवाओं के अरमानों पर कुछ समय के लिए ही सही ग्रहण अवश्य लगा गया है। उल्लेखनीय है के लॉक डाउन को सफल बनाने के लिये प्रशासन के सख्त रवैये के कारण पिछले मार्च, अप्रैल के अलावा चल रहे इस मई माह में भी शादी-ब्याह, तिलक, मुंडन संस्कार आदि अन्य तमाम मांगलिक कार्यक्रम आयोजित नहीं हुए। परिस्थितियों को देखते हुए अभिभावकों ने अपने जिगर के टुकडों के मांगलिक समारोह की तारीखें या तो अगली तारीख के लिए बढ़ा दी हैं अथवा अभी स्थगित रखा हैं।
उपरोक्त तमाम मांगलिक कार्यो के दरम्यान काम आने वाले टेंट, लाइट, कैटर्स आदि के तमाम प्रोपराइटर अभी मक्खी उड़ाने को विवश हैं। भैरोगंज के टेंट वाले नाजिर मियां ,दुर्गेश राम और नड्डा के ढिठ्ठू मिस्री बतातें हैं के इस साल टेंट के बिजनस पर कोरोना का भय भारी पड़ गया है। उनका कहना है के पिछले मांगलिक समारोहों वाले मौसम में इतनी कमाई जरूर होती थी के अगले आने वाले सीजन तक तमाम घरेलू व बिजनस संवर्धन का खर्चा हम वहन करने लायक हो जाते थे, पर आगे निराशा से भरा भविष्य दिखाई देता है। समझ मे नहीं आ रहा के आगे गुजरा कैसे होगा? फिर भी कोरोना की भयावहता के सामने ये अपनी चिंता को बहुत छोटा समझते हैं और संतोष प्रकट करते हैं के जब कभी ये कोरोना संकट के गहरे बदल जब छंट जाएंगे तो इनका व्यवसाय एक बार फिर रफ्तार पकड़ लेगा। इन्हें इस बात की तसल्ली है के वैश्विक महामारी से आने वाले समय में निजात अवश्य मिलेगी। उधर मनीष ,नीरज,नरेश आदि नए नवेले दूल्हा बनने की उम्मीद पाले युवाओं में अपने शादी को लेकर लॉक डाउन से पहले काफी उमंगे थीं। जब उनकी शादी तय हुई तब कोरोना था नही लोकडाउन। उस दौर में ये अपने होने वाली शादी के हर एक क्षणों के सपने बुनने में खोए रहते थे।
अपने प्यारे न्यारे यारों को शादी में शरीक रहने के लिए खुद के हाथों उनके घर न्योता बांट आये थे। इस उम्मीद में जब उनके ब्याह की शहनाई की आवाज गूँजने लगेगी, तब उसके धुन पर उनके ये मित्र थिरकते हुए उनकी शादी को एक यादगार लम्हों में बदल देंगे । ये सच है के वे अपने मन मे खुद के अरमानो के कितने ख्वाब रच रखे थे। पर उनके इन हसीन सपनों का जिगरी दुश्मन कोरोना साबित हो गया।
उधर अभिभावक भी कम परेशान नहीं रहे। वाहन,टेन्ट, रसोइये और मिठाई बनाने वालों को एडवांस की रकम चुकाई जा चुकी थी। यहाँ कई लोगों ने किराने की वस्तुओं के अलावा कपड़ों की खरीदारी भी कर रखी थी।पर जैसे ही लॉकडाउन शुरू हुआ सभी अभिभावक सोचने पर विवश हो गए। संक्रमण बढ़ने के साथ ही लॉक डाउन की अवधि भी बढ़ाई जाती रही है। आज लॉक डाउन का तीसरा चरण जारी है। अब ये कहना मुश्किल है कि ऐसी स्थिति कब तक बनी हुई रहेगी। इस बात को देखते हुये तमाम अभिभावकों ने शादियों की तिथियों में परिवर्तन कर दिया।अभिभावकों का कहना है कि शादियां हालत सामान्य होने के बाद भी अरेंज की जा सकती हैं। लेकिन पहले सरकार और प्रशासन से कदमताल करते हुए कोरोना जैसी महामारी को भागाना है। इसे भगाने के लिये हमारे ‘कोरोना वारियर्स’ के मनोबल को ऊँचा रखना पहला कर्तव्य है। अपने अभिभावकों का समर्थन करते उपरोक्त युवक भी दिखाई दे रहे हैं।