असम के डिटेंशन शिविरों से जमानत पर रिहा किए जाने वाले लोगों की मदद के लिए मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद सामने आया है। गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए डिटेंशन शिविरों में रह रहे 20 लोगों को जमानत पर रहा किया है, जो NRC प्रक्रिया में अपनी नागरिकता साबित नहीं कर सके और विदेशी घोषित कर दिए गए हैं।

अब इनके जमानत पर बाहर निकलने पर पुनरुत्थान के लिए इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने इन्हें आर्थिक सहायता देने का फैसला किया है। उल्लेखनीय है कि असम के डिटेंशन शिविरों में रहने वालों की रिहाई के संबंध में शीर्ष अदालत ने 13 अप्रैल 2020 को एक सुनवाई के दौरान उन कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था, जिन्हे विदेशी घोषित किया जा चुका है और जो दो साल या उससे ज्यादा समय से असम के डिटेंशन शिविरों में बंद है।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इन लोगों को भारतीय नागरिकों की जमानत पर शर्तों के साथ रिहा किया जाए। आपको बता दें कि दुनिया भर में फैली कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए पहले की स्थितियों में ढील देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है।

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