अविनाश भगत : कश्मीर में अभी हाल के दिनोे में गैर-कश्मीरी ट्रक ड्राइवर्स तथा मजदूरों की आतंकी हमलों में हुई हत्याओं के बाद प्रवासी मजदूरों में डर समा गया है। जिसके कारण हजारों की संख्या में यह प्रवासी मजदूर पलायन करने में लगे हैं। आज संघ शासित जम्मू कश्मीर के रूप में नई व्यवस्था अमल में आई है। उसके सामने इन प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

घाटी में खौफ
मालूम हो कि घाटी में गत कुछ दिनों के भीतर हुए विभिन्न आतंकी हमलों में 11 प्रवासी मजदूरों तथा ट्रक ड्राइवर्स की हत्याएं हुईं हैं। जिसके कारण घाटी में तेजी से पसरे खौफ के कारण गत कुछ दिनों में हजारों प्रवासी मजदूर पलायन करने को मजबूर हो गए।

ट्रक ड्राइवर्स की हत्याएं
बता दें कि यह मजदूर अधिकतर उत्तर प्रदेश, बिहार तथा बंगाल राज्यों से हैं। अभी हाल जिन मजदूरों तथा ट्रक ड्राइवर्स की हत्याएं की गईं, वह राजस्थान, पंजाब तथा बंगाल राज्यों से थे। इनमें अधिकतर मुस्लिम समुदाय के थे। फिर भी इन्हें निशाना बनाया गया। अधिकतर यह हत्याएं दक्षिण कश्मीर के आतंकग्रस्त जिले शोपियां, पुलवामा तथा कुलगाम में हुईं। जबकि यहां सुरक्षा के अत्याधिक कड़े बंदोबस्त का दावा किया जाता है।

50 हजार गैर कश्मीरी मजदूर
घाटी सूत्रों का कहना है कि इस अक्तूबर माह में विशेषकर दक्षिण कश्मीर में सेब आदि फसल के अलावा अन्य कामों के लिए करीब 50 हजार गैर कश्मीरी मजदूर थे। लेकिन इस माह जब बाहरी राज्य के ट्रक ड्राइवर की हत्या हुई तो उसके बाद इन प्रवासी मजदूरों में डर व्यापत होने लगा। परंतु उसके बाद एक के बाद एक हुईं हत्याओं ने इन प्रवासी मजदूरों में व्यापक खौफ पैदा कर दिया और पलायन शुरू हो गया। जम्मू रेलवे स्टेशन पर ऐसे कईं प्रवासी मजदूरों से इस संवाददाता ने बातचीत की। तो उन्होंने अपनी पहचान न छापने की शर्त पर कहा कि वह बड़ी मुश्किल से जैसे तैसे घाटी से चलने वाली सूमो व टैम्पो ट्रेवलर्स में मुंह मागे दाम पर सवार होकर यहां जम्मू पंहुच सकें। अब कब घाटी वापिस लौटेंगें अथवा नहीं यह अभी कह पाना हमारे लिए मुश्किल है।

गृह विभाग ने जारी की एडवाईजरी
काबिलेगौर है कि जब बीती 2 अगस्त को राज्य के गृह विभाग ने एक एडवाइजरी जारी कर घाटी में मौजूद सभी प्रवासियों, जिनमें सालाना अमरनाथ यात्रा में भाग लेने आए श्रद्धालु, पर्यटकों के अलावा प्रवासी मजदूर भी शामिल उनमें डर व बदहवासी फैल गई थी। तब भी अन्य के अलावा घाटी में काम कर रहे प्रवासी मजदूरों में काफी बड़ी तादाद में पलायन कर गए थे। लेकिन गत सितंबर माह में बड़ी संख्या में यह मजदूर घाटी लौट गए।

पलायन को रोकना एक बड़ी चुनौती
इसलिए जानकारों का मानना है कि केंद्र की मोदी सरकार के सूबा-ए जम्मू कश्मीर को जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख को दो संघ शासित प्रदेशों के रूप में गत 5 अगस्त को लिए गए एक अहम निर्णय को आज अमल में लाया गया है। परंतु इस नई व्यवस्था के सामने भी अन्य चुनौतियों के अलावा गैर-कश्मीरी मजदूरों की सुरक्षा के साथ साथ उनके पलायन को रोकना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

 

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