आज हम बात करते है। जम्मू और कश्मीर के राज्य दर्जे की जो बीते बुधबार की मध्यरात्रि में ख़त्म हो चुका है। जिसके साथ ही दो नए केंद्रशासित प्रदेश J&K तथा लद्दाख अस्तित्व में है। एउत्रो का कहना है की अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष दर्जे को संसद के जरिये ख़त्म कर 86 दिनों के बाद यह निर्णय लिया गया है। जहां गृह मंत्रालय ने बीते बुधवार को इस संबंध में सूचना निकाली है कि देर रात निकली सूचना में, मंत्रालय के जम्मू और कश्मीर संभाग ने प्रदेश में केंद्रीय कानूनों को लागू करने के लिए कई कदम उठाये है।
जानकारी के मुताबिक J&K और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेशों की अगुवाई उपराज्यपाल (एलजी) क्रमश: गिरीश चंद्र मुर्मू और आर के माथुर करेंगे। वे गुरूवार को पदभार प्राप्त करेंगे। यह पहली बार होगा जब किसी राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बदला जाएगा। जंहा इस मुद्दे में श्रीनगर और लेह में दो विभिन्न शपथग्रहण समारोहों का आयोजन होगा। प्रथम समारोह लेह में होगा जहां माथुर शपथ लेंगे बाद में श्रीनगर में शपथग्रहण समारोह होगा जिसमें मुर्मू पदभार प्राप्त करेंगे। ऐसा कहा जा रहा है कि J&K उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल, मुर्मू और माथुर दोनों को शपथ दिलाएंगी। इसके साथ ही देश में राज्यों की संख्या 28 रह गई और केंद्रशासित प्रदेशों की संख्या बढ़कर नौ हो चुकी है।
जंहा J&K के संविधान और रणबीर दंड संहिता का बृहस्पतिवार से अस्तित्व समाप्त होगा जब राष्ट्र पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाने के लिए ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ मनाएगा। पटेल को भारत संघ में 560 से अधिक राज्यों का विलय करने का श्रेय होगा। J&K पुनर्गठन अधिनियम, 2019 कहता है कि दो केंद्रशासित प्रदेशों के गठन का दिन 31 अक्टूबर है और यह मध्यरात्रि (बुधवार-बृहस्पतिवार) को अस्तित्व में आएंगे। राज्य के विशेष दर्जे को खत्म करने और इसके विभाजन की घोषणा पांच अगस्त को राज्यसभा में की गई थी। कानून कि माने तो J&K पुण्डिचेरी कि तरह विधानसभा होगी चूँकि लद्दाख चंडीगढ़ तर्ज बिना वाला विधानसभा वाला केंद्र है।