जम्मू-कश्मीर की जानी मानी पार्टी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के अनुच्छेद 370 पर विवादित बयान, आतंकियों के प्रति नरम रवैया और अलगाववादियों के साथ काम करने ही मुख्य रूप से जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) का आधार बना। उनकी पार्टी का झंडा और निशान भी उनके लिए पीएसए के कारणों में एक है। सिर्फ महबूबा ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी अनुच्छेद 370 और जम्मू-कश्मीर भारत विलय पर भड़काऊ बयानबाजी के लिए जरूर रंज होगा। उन पर पीएसए के लिए बनाए आधार पर उनकी बयानबाजी का जिक्र है।

बता दें कि पांच अगस्त 2019 की तड़के एहतियातन हिरासत में लिए उमर व महबूबा को गत गुरुवार को पीएसए के तहत बंदी बनाया गया है। सूत्रों ने बताया कि महबूबा को पीएसए के तहत बंदी बनाए जाने का जो डोजियर जारी किया है उसमें अलगाववादियों पर नरम रुख और उनके साथ मिलकर काम करने की सूचनाओं व आरोपों का जिक्र है। डोजियर में अनुच्छेद 370 हटाने से पूर्व महबूबा के ट्वीट का हवाला दिया है। आतंकियों के मारे जाने के बाद उनके सम्मान और सेना पर आतंकियों के खिलाफ केमिकल हथियार इस्तेमाल करने के आरोप व तीन तलाक और देशभर में मॉब लिंचिंग पर भड़काऊ ट्वीटों का जिक्र भी डोजियर में है।

महबूबा ने डोजियर में जुलाई 2019 को दिए भाषणों का भी जिक्र किया है। इसमें महबूबा के उस भाषण का उल्लेख किया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अनुच्छेद 370 व 35ए से छेड़छाड़ करना बारूद को हाथ लगाने के बराबर होगा। जो हाथ छेड़छाड़ के लिए उठेंगे, वो हाथ ही नहीं वो सारा जिस्म जलकर राख हो जाएगा। एक अन्य भाषण में महबूबा ने कहा था कि अनुच्छेद-370 की समाप्ति पर जम्मू कश्मीर में कोई तिरंगा उठाने वाला नहीं होगा।

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