आज़ादी के इन 70 वर्षों के इतिहास में बीते गुरूवार का दिन बहुत ही ऐतिहासिक था। जहां देश कि जन्नत कहे जाने वाले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बन चुके है।
वहीं श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर गुरुवार को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन का कानून लागू किया गया। जिसके साथ दोनों प्रदेशों में काफी सारे बदलाव किये गए है। ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी राज्य को बांटकर सीधे दो केंद्र शासित प्रदेश का गठन हुआ है।
दोनों प्रदेशों में उपराज्यपाल:
-जहां जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल पद था, लेकिन अब दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में उपराज्यपाल हो गए।
– वहीं 106 केंद्रीय कानून लागू हो गए दोनों राज्यों में आधार, आरटीआई, आरटीई कानून लागू किये गए।
-जहां 153 ऐसे कानून जम्मू-कश्मीर के खत्म हो गए, जिन्हें राज्य के स्तर पर बनाया गया।
-166 पुराने राज्य कानून और राज्यपाल कानून लागू रहेंगे साझा उच्च न्यायालय।
-जम्मू कश्मीर में पांच साल के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में निर्वाचित विधानसभा और मंत्रिपरिषद होगी।
-लद्दाख का शासन उपराज्यपाल के जरिए सीधे केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा चलाया जाएगा।
-दोनों के पास साझा उच्च न्यायालय होगा। दोनों राज्यों के एडवोकेट जनरल अलग होंगे।
-लद्दाख अधिकारियों की नियुक्ति के लिए यूपीएससी के दायरे में आएगा।
-जम्मू कश्मीर में राजपत्रित सेवाओं के लिए भर्ती एजेंसी के तौर पर लोक सेवा आयोग बना रहेगा।
-दोनों प्रदेशों के सरकारी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार ही वेतन मिलेंगे।
-वरिष्ठ अधिकारियों के सरकारी भवनों और वाहनों में अब केवल राष्ट्रीय ध्वज होगा।
जारी होंगी प्रशासनिक -राजनैतिक व्यवस्था
-जम्मू-कश्मीर में पहले के मुकाबले विधानसभा का कार्यकाल 6 साल की जगह देश के बाकी हिस्सों की तरह 5 साल का ही होगा।
-विधानसभा में अनुसूचित जाति के साथ साथ अब अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी।
-पहले कैबिनेट में 24 मंत्री बनाए जा सकते थे, अब दूसरे राज्यों की तरह कुल सदस्य संख्या के 10% से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं।
-जम्मू कश्मीर विधानसभा में पहले विधान परिषद भी होती थी, वो अब नहीं होगी। हालांकि राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।