अविनाश भगत : प्रदेश के सरहदी इलाकों में रहने वाले लोगों का आजकल दोहरी मार का शिकार होना पड़ रहा है। यहां खराब मौसम व भारी बारिश के कारण उनकी फसलें तबाह हुईं। वहीं , बंकरों के अभाव में उन्हें हमेशा पाकिस्तान की गोलाबारी की आंशका के कारण अनिष्ठ का डर रहता है। केंद्र सरकार की ओर से जम्मू संभाग के पांचों जिलों में 14460 बंकर बनाए जाने थे। जोकि दो साल बीत जाने के बावजूद अभी तक 40 फीसदी बंकर ही निर्मित हो पाए हैं। मालूम हो कि काफी अरसापूर्व पाकिस्तान की ओर से की गई गोलाबारी के कारण काफी बड़ी तादाद में यहां के सीमांतवासियों को पलायन करना पड़ा था।

90 फीसदी बंकरों का होगा निर्माण
बता दें कि, इसी साल 16 जनवरी को तत्कालीन सूबे की सरकार ने यह घोषणा की थी कि गत जून माह तक 90 फीसदी बंकरों का निर्माण हो जाऐगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। हालांकि तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक के नेतृत्व वाले प्रशासन ने केंद्रीय गृहमंत्रालय को 10 हजार और बंकर बनाने के लिए अनुदान की मांग की थी। गौरतलब है कि फिलहाल कुल 5538 बंकरों का निर्माण हो सका है। जिनमें 5035 व्यक्तिगत बंकर तथा 503 समुदायिक बंकर हैं।

बंकरों के निर्माण को लेकर संजीव वर्मा ले रहे समीक्षा बैठकें..
सूत्रों का कहना है कि इन बंकरों के निर्माण को लेकर जम्मू संभाग के मंडलायुक्त संजीव वर्मा लगातार समीक्षा बैठकें कर रहे हैं। बताया गया कि दिसंबर 2017 में केंद्र सरकार ने 14460 बंकरों के निर्माण लिए 415.73 करोड़ रूपये की मंजूरी दी थी। जिनमें भारत-पाक सीमा के कठुआ, सांबा तथा जम्मू के अलावा नियंत्रण रेखा के राजौरी व पुंछ जिलों के सरहदी इलाकों में 13029 व्यक्तिगत बंकर तथा 1431 सामुदायिक बंकर बनाए जाने थे। सूत्रों का कहना है कि समय पर बंकरों के न पूरा होने की एक वजह निर्माण कार्य में सुस्ती भी बताई गई है। कहा गया कि प्रशासन अब इस काम में तेजी लाने की कोशिश में है।

सीमांतवासी पाकिस्तानी गोलीबारी की आशंका से ग्रस्त
इस बीच सरहदी इलाकों में रहने वाले लोगों के संगठनों का कहना है कि प्रशासनिक ढुलमुल रवैये तथा निर्माण एजेंसियों की सुस्ती आदि के कारण बंकरों के न बनने की वजह से सीमांतवासी हमेशा पाकिस्तानी गोलीबारी की आशंका से ग्रस्त रहते हैं। इसलिए इन बंकरों के निर्माण में व्यापक तेजी लाकर इसे पूरा किया जाए।

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