अविनाश भगत: घाटी के हालात का जायजा लेने आए यूरोपियन संघ के सांसदों का दल कभी का लौट गया है, लेकिन यहां कांग्रेस में इसे लेकर घमासान की स्थिति बनी हुई है। पार्टी के जिन तीन वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी लाईन का उल्लंघन कर इन विदेशी सांसदों के दल से मुलाकात की, उन्हें कारण बताओ नोटिस जरूर दिया गया लेकिन समय अवधि निकलने के बावजूद कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई। जिसे लेकर यहां प्रदेश कांग्रेस कमेटी में खींचतान बढ़ गई है। ऐसा लगता है कि लोकसभा चुनाव में हुई हार की हताशा से पार्टी अभी उभर नहीं पाई है और अनुशासनहीनता भी हो रही है।
कश्मीर का जायजा लेने पहुंचा था यूरोपियन संघ का दल
बता दें कि, गत माह यूरोपियन संघ के सांसदों का एक दल कश्मीर का जायजा लेने आया था। उस दौरान प्रदेश कांगे्रस के तीन नेताओं जिनमें पूर्व विधायक उस्मान मजीद, प्रदेश कांग्रेस महासचिव सुरिंद्र सिंह चन्नी तथा पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता फारूक अंद्राबी ने पार्टी आलाकमान से पूर्व अनुमति लिए बिना मुलाकात की। जब यह मुलाकात सार्वजनिक हुई तो पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने आनन-फानन में गत 30 अक्तूबर को इन तीनों नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। लेकिन आज समय अवधि समाप्त होने के 4 दिन बाद तक भी इन नेताओं ने जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। सूत्रों का कहना है कि यह सभी वरिष्ठ नेता प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष जीए मीर के करीबी हैं।
तीनों नेताओं ने मिलकर घाटी की स्थिति के बारे में यूरोपियन संघ दल को दी जानकारी
इस बीच इन नेताओं के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने यूरोपियन संघ के सांसदों के दल के साथ मिलकर कुछ भी गलत नहीं किया तो फिर जवाब किस बात का दें। इनका यह भी दावा है कि इन तीनों नेताओं ने यूरोपियन संघ दल से मिलकर घाटी की स्थिति के बारे में जानकारी दी थी। गौरतलब है कि इन तीन नेताओं की बावत गत दिनों जब कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी जम्मू आईं थीं, उनसे एक बैठक में चर्चा की गई थी। लेकिन बैठक में उक्त तीनों नेताओं के खिलाफ सर्वसम्मति से कोई राय नहीं बन पाई थी। मालूम हो कि इन तीन नेताओं में से दो घाटी व एक जम्मू के हैं। इस संवाददाता ने इस प्रकरण पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीए मीर के अलावा कुछ अन्य नेताओं से भी सम्पर्क करने की कोशिश की परंतु या तो उपलब्ध नहीं हुए अथवा कोई भी कुछ कहने को तैयार नहीं हुए।