अविनाश भगत : बीते अगस्त माह से विशेषकर घाटी में बदले माहौल के कारण कश्मीर में आज तक हुई विभिन्न मुठभेडों में मारे गए आतंकियों की संख्या में काफी कमी आई है। विवादित धारा 370 व अनुच्छेद 35ए को खत्म किए जाने के साथ जिस प्रकार के ऐतियातन कडे़ कदम उठाए गए। उससे यहां की आर्थिक स्थिति भी बुरी तरह टूटी है। लेकिन कड़े प्रतिबंधों तथा सुरक्षाबलों की अत्याधिक कड़ी चैकसी के कारण आतंकी छिपते फिर रहे हैं। यही वजह है कि अगस्त से आज तक हुईं करीब दर्जनभर मुठभेडों में 18 आतंकी ही मार गिराए जा सके हैं।
पर्यटन तथा फल समेत अन्य कारोबार को भारी नुकसान पहुंचा…
मालूम हो कि हालांकि देश की संसद ने भारी बहुमत के साथ सूबा-ए जम्मू-कश्मीर से विवादित धारा 370 व अनुच्छेद 35ए को हटाने का फैसला 5 अगस्त को लिया था। मगर उससे तीन दिन पूर्व यानि 2 अगस्त को सूबे के शासन द्वारा जारी सालाना पवित्र अमरनाथ यात्रा को अचानक रोकने तथा घाटी में मौजूद पर्यटकों को फौरन निकल जाने की सलाह जारी की थी। वहीं 5 अगस्त के उक्त फैसले के बाद कईं प्रकार के ऐहतियाती कड़े कदम उठाए गए। जानकारों का मानना है कि इन सबसे घाटी को पर्यटन तथा फल समेत अन्य कारोबार को भारी नुकसान पहुंचा है। जबकि इस साल के शुरू में आपरेशन आल आउट जिस तेजी से चला और आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षाबलों को लगातार भारी कामयाबी मिली। लेकिन अगस्त माह से आज तक आतंकववाद विरोधी अभियानों में अक्तूबर माह के अलावा भारी गिरावट आई। अक्तूबर माह में 10 आतंकियों को मार गिराया गया। वहीं तीन सुरक्षाकर्मी भी शहीद हुए।
152 आतंकी व उनके बड़े कमांडर मारे जा चुके हैं..
गौरतलब है कि बीती 14 फरवरी को पुलवामा के राष्ट्रीय राजमार्ग पर आतंकियों द्वारा सीआरपीएफ की एक बस पर घात लगाकर किए गए हमले में घटना स्थल पर 40 जवान शहीद हुए थे। जिसे लेकर पूरे देश में भारी रोष भी व्याप्त हुआ था। लेकिन जनवरी से लेकर अभी तक कुल 152 आतंकी व उनके बड़े बड़े कमांडर मारे जा चुके हैं। वहीं बताया गया कि इन विभिन्न मुठभेडों व आतंकी हमलों में 80 सुरक्षाकर्मी शहीद व 50 नागरिक भी मारे गए।
आतंकवादी विरोधी अभियान
सुरक्षा एजेंसियों से जुडे सूत्रों का कहना है कि अगस्त माह से अभी तक चलाए गए आतंकवादी विरोधी अभियानों में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेडों में आई कमी की वजह आतंकियों द्वारा भूमिगत सुरक्षित ठिकानों में छिप जाना है। हालांकि घाटी में अभी भी भारी संख्या में आतंकी छिपे हुए हैं। जोकि सुरक्षाबलों की अति कड़ी चौकसी के चलते जान बचाते फिरते छिप रहे हैं।