नयी दिल्ली। ब्रिटेन के शेफफील्ड और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों के अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक कोरोना संक्र‎मित होने के बाद फेफडों को होने वाला नुकसान नियमित सीटी स्कैन और क्लिनिकल जांचों में पता नहीं चल रहे हैं और मरीजों को इस कारण से आम तौर पर बताया जा रहा है कि उनके फेफड़े सामान्य हैं। अध्ययन में यह भी सामने आया है कि जिन लोगों को कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया लेकिन जिन्हें लंबे वक्त तक सांस लेने में तकलीफ होती है उनके फेफड़ों को भी इस तरह का नुकसान हो सकता है।
हालांकि, अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इसकी पुष्टि करने के लिए वृहद अध्ययन की जरूरत है। उन्होंने बताया कि हाइपर पोलराइज्ड जेनोन एमआरआई (एक्सईमआरआई) स्कैन में अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद तीन महीने से भी अधिक वक्त और कुछ मामलों में तो नौ महीनों तक कुछ मरीजों के फेफड़ों में असामान्यता पाई गई जबकि अन्य क्लिनिकल माप सामान्य थे। शेफफील्ड विश्वविद्यालय के प्राध्यापक जिम वाइल्ड ने कहा, “अध्ययन के परिणाम बहुत दिलचस्प हैं। 129एक्सई एमआरआई फेफड़ों के उन हिस्सों को इंगित करता है जहां कोविड-19 के फेफड़ों पर दीर्घकालिक प्रभावों के चलते ऑक्सीजन लेने की क्रिया बिगड़ गई थी भले ही वह सीटी स्कैन पर अक्सर सामान्य दिखते हों।
अध्ययन के प्रमुख अनुसंधानकर्ता, ऑक्सफोर्ड के प्राध्यापक फर्गस ग्लीसन ने कहा, “कोविड-19 के कई मरीज अस्पताल से छुट्टी मिलने के महीनों बाद तक सांस लेने में तकलीफ का सामना कर रहे हैं, बावजूद इसके कि उनके सीटी स्कैन में दर्शाया गया कि उनके फेफड़े सामान्य रूप से काम कर रहे हैं।” बता दें ‎कि वैज्ञानिकों ने अस्पताल से घर लौटने के कम से कम तीन महीने बाद कोविड-19 के मरीजों के फेफड़ों में लगातार हो रहे नुकसान को पहचाना है और कुछ मरीजों में यह नुकसान और भी लंबे वक्त तक देखा गया है।

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