टोक्यो। जापान ने कोरोना संक्रमण के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर बुधवार को लगातार दूसरे सप्ताह कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लागू आपातकाल के दायरे में आने वाले क्षेत्रों का विस्तार किया गया। आपातकाल में आठ और प्रान्तों को शामिल किया गया है। जापान में डेल्टा स्वरूप के संक्रमण से स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर दबाव बढ़ गया है। सरकार ने पिछले हफ्ते आपातकाल को 12 सितंबर तक बढ़ा दिया था और इसमें शामिल क्षेत्रों की संख्या को छह से बढ़कर 13 कर दी थी। इसमें टोक्यो भी शामिल है। चार नए प्रान्तों को एक अलग अर्ध-आपातकालीन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में शामिल किया गया है। इस प्रकार जापान के 47 प्रान्तों में से 33 अब किसी-न-किसी प्रकार के आपातकालीन उपायों के अंतर्गत हैं।
आठ प्रान्तों को अर्ध-आपातकालीन क्षेत्र से पूर्ण आपातकालीन क्षेत्र में अपग्रेड किया गया है। इनमें उत्तर के होक्काइदो और मियागी, मध्य जापान के आइची और गिफू और पश्चिम के हिरोशिमा और ओकायामा शामिल हैं। प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा ने आपातकाल की घोषणा करते हुए कहा कि लोगों के जीवन की रक्षा के लिए, प्राथमिकता स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को बनाए रखने की है। डेल्टा स्वरूप के कारण पैदा हुए इस संकट को दूर करने के लिए, मैं सभी से और सहयोग की अपेक्षा रखता हूं।
बहरहाल, जापान में आपातकालीन उपायों की लगातार अवहेलना की जा रही है। लापरवाही बढ़ रही है और सामाजिक दूरी जैसे नियमों और अनुरोधों को भी बड़े पैमाने पर अनदेखा किया जा रहा है। जापान की राजधानी टोक्यो में 12 जुलाई से ही आपातकाल लागू है, लेकिन संक्रमण के नए मामलों में कोई गिरावट नहीं आई है। तब से नए दैनिक मामले बढ़कर दस गुना से अधिक हो गए हैं। टोक्यो में लगभग 5,000 और पूरे जापान में करीब 25,000 नए मामले आ रहे हैं। अस्पताल के बिस्तर तेजी से भर रहे हैं और कई लोगों को अब घर पर ही रहकर इलाज करवाना पड़ रहा है, जिनमें कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें चिकित्सा ऑक्सीजन की आवश्यकता है। सुगा ने कहा कि घर पर रहकर इलाज करवाने वालों को फोन कॉल, ऑनलाइन या सामुदायिक डॉक्टरों के माध्यम से चिकित्सा सहायता मिलेगी और सरकार अस्थाई अस्पताल स्थापित करेगी जहां मरीज चिकित्सा ऑक्सीजन या अन्य उपचार प्राप्त कर सकते हैं। जापान ने हालांकि कई अन्य देशों की तुलना में महामारी का बेहतर ढंग से सामना किया है, लेकिन टीकाकरण में वह अन्य देशों से थोड़ा पीछे रह गया है। देश की लगभग 40 प्रतिशत आबादी का पूर्ण टीकाकरण किया जा चुका है, जिसमें मुख्य रूप से बुजुर्ग लोग शामिल हैं।

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