रांची । पुलिस मुठभेड़ में ढेर 15 लाख के इनामी पीएलएफआई नक्सली जिदन गुड़िया का सिर्फ आतंक और दहशत की दुनिया में ही दबदबा नहीं था, इलाके में उसकी जबर्दस्त राजनीतिक पकड़ की भी दबी जुबां में रह चुनाव में चर्चा होती थी। खूंटी, सिमडेगा और गुमला इलाके में उसका इतना व्यापक प्रभाव था कि वह त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से लेकर कई विधानसभा और लोकसभा सीटों के चुनाव को भी प्रभावित करता था।
इलाके के राजनीतिक कार्यकर्त्ता भी यह स्वीकार करते है कि जिदन की इजाजत के बिना किसी प्रत्याशी या कार्यकर्त्ता की हिम्मत नहीं होती थी कि वह रनिया, तोरपा, मुरहू, बंदगांव, कर्रा , लापुंग और कामडरा समेत पीएलएफआई नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए खुलेआम घूम सके। राजनीजिक जानकारों का कहना है कि इलाके में बढ़त हासिल करने में जिदन गुड़िया का समर्थन आवश्यक था, वह मतदाताओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करने का काम करता था।
जिदन गुड़िया को जानने वाले लोग बताते है कि उसने दो शादियां की थी। जिदन की पहली पत्नी रीता गुड़िया 2010 से 2015 तक तपकारा पंचायत की मुखिया थी। जबकि उसकी दूसरी पत्नी जूनिका गुड़िया इस समय खूंटी जिला परिषद की अध्यक्ष है। जूनिका गुड़िया विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हुई है। वह अपनी तीन बहनों और देवर जॉनसन गुड़िया के साथ शव लेने थाने पहुंची थी। जिदन मूल रूप से खूंटी जिले के तपकारा थाना क्षेत्र के कोचा करंजटोली गांव का रहने वाला था। अपने को सुरक्षित रखने के लिए वह इलाके में कई सामाजिक कार्य भी करता रहता था। कभी मेडिकल कैंप लगाना, तो कभी गरीबों के बीच धोती-साड़ी, कंबल और अनाज का वितरण कराना उसके लिए आम बात थी।
जिदन के खिलाफ राज्य के खूंटी, रांची, गुमला, सिमडेगा, पश्चिमी सिंहभूम, लोहरदगा सहित अन्य कई जिलो के विभिन्न थानों में हत्या, लूट, अपहरण, रंगदारी, पुलिस के साथ मुठभेड़ सहित अन्य संगीन मामलों को लेकर एक सौ से अधिक मामले दर्ज हैं। अपने चार भाइयों में जिदन दूसरे नंबर पर था। उसके तीन अन्य भाई गांव में ही खेती-बारी करते हैं। किसी की समस्या होने पर वह उसका निराकरण भी करता था। इलाके में लोगों में उसका खौफ इस प्रकार था कि किसी विवाद के निपटारे के लिए लोग पुलिस के पास नहीं, जिदन के पास जाते थे।
प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीएलएफआई में भी उसका काफी दबदबा था। संगठन के सुप्रीमो दिनेश गोप भी उसके फैसले को आखिरी फैसला मानता था। राजनीतिक हलकों में इस बात की भी चर्चा थी कि वह बहुत जल्द आत्मसमर्पण कर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता था। जिदन के परिजनों के मुताबिक जिदन अपने प्रारंभिक जीवन में पढ़ाई के बाद रनिया में दर्जी का काम करने लगा। उसकी सिलाई काफी अच्छी थी, इसके कारण उसकी दुकान पर हमेशा भीड़ लगी रहती थी। उसी दौरान उसका संपर्क झारखंड जिबरेशन टाइगर्स (जेएलटी) से हुआ। बाद में जेएलटी का नाम बदल कर 2007 में पीएलएफआइ हो गया। जिसके बाद जिदन पूरी तरह से पीएलएफआई संगठन से पूरी तरह जुड़ गया।
सरना रीति रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार
मारे गये उग्रवादी जीदन का अंतिम संस्कार मंगलवार को उसके पैतृक गांव कोचा करंजटोली में सरना रीति रिवाज के अनुसार हुआ। अंतिम संस्कार के दौरान उसकी पत्नी खूंटी जिला परिषद की अध्यक्ष जुनिका गुड़िया सहित कई लोग मौजूद थे। जीदन के शव का पोस्टमार्टम 21 दिसंबर को रात में ही कराया गया।














