मदरलैंड संवाददाता, गोपालगंज

गोपालगंज। कोरोना वायरस से बचने के लिए लागू लॉक डाउन में सबसे ज्यादा मार गरीब ग्रामीणों और मजदूरों पर पड़ी है। उचकागांव के राशन कार्ड से वंचित ग्रामीणों द्वारा जीविका कर्मी के पास राशन कार्ड बनवाने के लिए जमा करा गए। आवेदन फार्म को जीविका कर्मियों द्वारा दाहा नदी किनारे बोरे में भरकर फेंक दिया गया। दाहा नदी के किनारे बोरे में भरे आवेदन फार्म को देखकर ग्रामीणों में अफरा तफरी का माहौल हो गया। यह बताया जा रहा है कि सरकार द्वारा कोरोना वायरस को लेकर जारी किए गए लॉक डाउन के दौरान राशन कार्ड से वंचित गरीब परिवारों के लोगों को राहत देने के लिए जीविका के माध्यम से राशन कार्ड बनाने के लिए आवेदन कराया गया था। आवेदन के साथ ग्रामीणों द्वारा बैंक पासबुक और आधार कार्ड की छाया प्रति भी जमा करवाए थे। लेकिन ये आवेदन जीविका कर्मियों द्वारा उचकागांव प्रखंड कार्यालय में जमा करने के बजाय हरपुर राजघाट पुल से दाहा नदी के किनारे फेंक दिया गया।वही दाहा नदी किनारे बोरे में फेंके गए आवेदन फार्म को देखकर ग्रामीणों ने इसकी सूचना प्रखंड पदाधिकारी को दी। फेंके गए आवेदन फार्म परसौनी खास पंचायत भवन के सामने रखकर ग्रामीणों ने जमकर हंगामा व प्रदर्शन किया। आक्रोशित ग्रामीणों ने दोषी जीविका कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है। दाहा नदी किनारे फेंके गए आवेदन फार्म नवादा, परसौनी और परसौनी खास पंचायत के ग्रामीणों का भी बताया जा रहा है। दरअसल सीएम नीतीश कुमार ने लॉक डाउन के दौरान भुखमरी के कगार पर पहुंच गए बिना राशन कार्ड वालों को बड़ी राहत देने की घोषणा करते हुए सबके बैंक खाते में एक एक हजार रूपये देने की घोषणा की थीथी। सीएम ने इसके लिए जीविका दीदियो को जिम्मेदारी देते हुए ऐसे लोगों का आवेदन फार्म जमा करने का निर्देश दिया था। लेकिन उन्होंने आवेदनों का बिना निष्पादन किये ही उसे नदी में फेक दिया।

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