नई दिल्ली। हमारी जीवन शैली में तेजी से हो रहे बदलावों के साथ ही जीवनशैली जनित रोगों में भी तीव्र बढ़ोतरी हो रही है। खान-पान में हुए बदलाव का असर अब लोगों पर साफ दिखाई पड़ने लगा है। खाद्य जनित बीमारियों में भी तेजी से बदलाव हुआ है। इससे हर साल लगभग 15 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा आयोजित विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस समारोह का वीडियो कांफ्रेस के जरिए संबोधित करते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा जैसे-जैसे खाद्य श्रृंखला लंबी, जटिल और वैश्विक बनती जा रही हैं, वैसे वैसे खाद्य जनित रोगों से जुड़ी चिंताएं भी बढ़ रही हैं। इससे, सालाना लगभग 15 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है। विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस इस लिए मनाया जाता है, ताकि इस ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया जा सके कि खाद्य केवल कृषि संबंधी और व्यापार की वस्तु नहीं है बल्कि यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य का मुद्दा भी है।
इस अवसर पर एक आधिकारिक वक्तव्य में कहा गया कि इस वर्ष के विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर सभी प्रमुख हितधारकों से यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की अपील की गई है कि जो भोजन हम करते हैं, वह सुरक्षित और पौष्टिक हो। हर्षवर्धन ने इस अवसर पर कहा कि खाद्य सुरक्षा का निश्चित रूप से तीनों सेक्टरों-सरकार, उद्योग और उपभोक्ताओं के साथ समस्त खाद्य श्रृंखला, खेत से लेकर खाने की मेज तक को समेकित किया जाए। जिसमें, ये तीनों समान रूप से जिम्मेदारी साझा करें। यह भी आवश्यक है कि खाद्य सुरक्षा स्वास्थ्य आधारित पोषण नीतियों और पोषण शिक्षा का एक अनिवार्य घटक बने।
उन्होंने कहा हमारा लक्ष्य ऐसे कदम को प्रात्साहित करना है जो खाद्य जनित जोखिम को रोकने, पता लगाने और प्रबंधित करने में सहायता करे और ऐसा करने के जरिये हम खाद्य सुरक्षा, मानव स्वास्थ्य, आर्थिक समृद्धि, बाजार पहुंच और सतत् विकास की दिशा में योगदान दे सकेंगे। हर्षवर्धन ने कहा कि खाद्य सुरक्षा किसी देश की ठोस और समावेशी स्वास्थ्य प्रणाली के निर्धारकों में से एक है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे खाद्य श्रृंखला लंबी, जटिल और वैश्विक बनती जा रही हैं, खाद्य दूषण के कारण खाद्य जनित रोगों की चिंता बढ़ रही है, इससे हमें सालाना लगभग 15 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है।














