मदरलैंड संवाददाता,
टिड्डी दल का रुख अब पश्चिमी चम्पारण की ओर हो चुका है अतः सभी लोग अपने खेतों की निगरानी करते हुए टीन, कनस्तरों, पटाखों, ढोल नगाड़ों आदि सहित हो हल्ला कर भगाने का प्रयास करें। अपने इलाके में टिड्डी दल को बैठने न दे और अपनी फसल को बचाए। थाली, कनस्तर व ढोल-नगाड़े लेकर अलर्ट रहें व अपनी फसल की निगरानी करते रहें जैसे ही दल दिखाई दे तुरंत तेज आवाज करके उसे भगाने की कोशिश करें। जिन किसान भाईयों के पास अपनी हाथ वाली, बैटरी वाली, पैट्रोल वाली या ट्रैकटर वाली स्प्रे मशीन हैं। वे क्लोरो पायरिफोस 20% दवा व मशीन तैयार रखें। जिस क्षेत्र में ज्यादा प्रकोप होगा वहाँ कृषि विभाग, आग बुझाने वाली मशीन व पावर स्प्रेयर से दल को मारने का प्रयास करेगा। बाकी जगहों पर अपको सहयोग करना है जैसे ही टिद्ड़ी दल दिखाई दे तो जरूर करे यह काम जो किसान की बढ़ती चिंता से निजात दिला सकता है।
“टिड्डी के नियत्रण हेतु पूर्व में ही तैयारी के उपाय एवं बचाव के तरीके”
टिड्डी दल के आक्रमण की आशंका ने कृषि वैज्ञानिकों सहित किसानों को चिंता में डाल दिया है। टिड्डी दल में करोड़ों की संख्या में लगभग दो ढाई इंच लंबे कीट होते हैं। जो फसलों को कुछ ही घंटों में चट कर जाते हैं। यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करते हैं। ये टिड्डी दल किसी भी क्षेत्र में शाम 6 से 8 बजे के आसपास पहुँचकर जमीन पर बैठ जाते हैं। वहीं पर रात भर फसलों को नुकसान पहुँचाते हैं और फिर सुबह 7 से 8 बजे के करीब उड़ान भरते हैं।
“कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव”
टिड्डी दल रात के समय केवल फसलों पर बैठते हैं। इन पर उसी वक्त हमला करने की जरूरत होती है। टिड्डी दल जिस जगह पहुंचेगा, वहां मादा जमीन में अंडे छोड़ देती है और वे फिर दोबारा लौटते हैं जब तक टिड्डी लौटते हैं, तब तक दूसरे जो अंडे के रूप में होते हैं, वे बड़े हो चुके होते हैं।
टिड्डी पर निगरानी रखने के लिए किसान शाम को फसलों पर जरूर नजर रखे इनसे छुटकारा पाने के लिए रात के समय कीटनाशक का प्रयोग किया जाना चाहिए जिस ओर हवा होती है उसी ओर यह टिड्डी दल उडान भर देते हैं। एक उड़ान में यह दल लगभग 100 से 150 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक एक औसत टिड्डी दल 2500 लोगों का पेट भरने लायक अनाज चट कर सकते हैं।
“यदि आक्रमण हो तो कैसे नियंत्रित करे टिड्डी दल को”
यह जानना जरूरी है कि अटैक करने वाला टिड्डी दल पीले रंग का होता है। टिड्डी दल को भगाने के लिए ढोल, नगाड़ों, टीन के डिब्बे, पटाखे, थालियों या लाउडस्पीकर को तेज आवाज के साथ बजाएं।
किसान टोलियां बनाकर इस समस्या से निपट सकते हैं। फायर बिग्रेड की भी मदद ले सकते हैं।
टिड्डी दल फसलों एवं समस्त वनस्पति को खा कर चट कर देता है। इनको उस क्षेत्र से हटाने या भगाने के लिए ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से भी भगाया जा सकता है ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज कर उनकों अपने खेत पर बैठने न दें । अपने खेतों में आग जलाकर, पटाखे फोड़ कर, थाली बजाकर, ढोल नगाड़े बजाकर आवाज करें, ट्रेक्टर के साइलेसंर को निकाल कर भी तेज ध्वनि कर सकते हैं। इसके अलावा खेतों में कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर के टिड्डी को तथा उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है यह टिड्डी दल शाम को 6 से 8 बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 7 से 8 बजे के करीब उड़ान भरता है। अतः इसी अवधि में इनके ऊपर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके इनको मारा जा सकता है।टिड्डी दल को निम्न प्रकार से भी नियंत्रित किया जा सकता है।
क्लोरपाइरीफास 20 % ईसी की 1200 मिलीलीटर,
क्लोरपाइरीफास 50 % ईसी की 1000 मिलीलीटर,
डेल्टामेथरिन 2.8 % ईसी की 450 मिलीलीटर,
डेल्टामेथरिन 1.25 % ULV की 200 मिलीलीटर,
लैम्ब्डा-साईहेलोथ्रिन 5 % ईसी 400 मिलीलीटर
फिप्रोनिल 5 % एस. सी. की 2500 मिलीलीटर,
मेलाथियान 50 % ई. सी. की 1850 मिलीलीटर बैन्डियोकार्ब (Bendiocarb) 80 % डब्ल्यू.पी. की 125 ग्राम
इनमें से किसी एक कीटनाशक को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें या मेलाथियान 5 % डी पी की 25 किलो मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सुबह के समय खेत में बुरकाव करें। अगर आपके क्षेत्र या खेतों मे टिड्डी दल दिखाई देता है तो उपरोक्त दवाओं मे से किसी एक दवा का प्रयोग करें तथा दवाओं के लिए अपने क्षेत्र की कृषि रक्षा ईकाई से सम्पर्क करे।