नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कहा कि अध्ययनों से पता चला है कि टीकाकरण के बाद कोरोना से संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम 75-80 प्रतिशत कम हो जाता है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि टीका लगा चुके सात हजार स्वास्थ्यकर्मियों पर यह अध्ययन किया गया है। पॉल ने कहा कि इस अध्ययन में पाया गया कि सात हजार लोगों में से मृत्यु का सिर्फ एक मामला आया है। इस मामले में भी पहले से दूसरी बीमारी का ग्रसित होना था। उन्होंने कहा कि यह अध्ययन इसके लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि स्वास्थ्यकर्मी सर्वाधिक जोखिम वाले समूह में होते हैं। उन्हें सीधे मरीजों के संपर्क में रहना पड़ता है। पॉल ने कहा कि अध्ययन में पाया गया है कि टीकाकरण के बाद संक्रमण हो सकता है लेकिन सिर्फ 20-22 फीसदी मामलों में ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है। सिर्फ आठ फीसदी मामलों में आक्सीजन की जरूरत पड़ी तथा आईसीयू की जरूरत सिर्फ छह फीसदी मामलों में देखी गई। पॉल ने एम्स-डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के हवाले से कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 18 साल से कम उम्र के 56 फीसदी बच्चों में एंटीबॉडी पाई गई जबकि 18 साल से अधिक आयु के 63 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी मिली। उन्होंने कहा कि यह दर्शाता है कि दूसरी लहर में बच्चों को खासा संक्रमण हुआ। हालांकि, कुछ दिन पहले ही मंत्रालय ने दावा किया था कि दूसरी और पहली लहर में बच्चों में संक्रमण करीब-करीब एक जैसा रहा है। लेकिन इस अध्ययन के बाद पाल ने कहा कि पूर्व के आंकड़े कोरोना टेस्ट के पॉजीटिव नतीजों के आधार पर थे और यह एंटीबॉडी के आधार पर हैं। यह दर्शाता है कि बच्चों में संक्रमण हुआ और लक्षण नहीं दिखे और वह ठीक हो गए।