न्यूयार्क। अफगानिस्तान में यूनीसेफ के प्रतिनिधि हर्वे लुडोविक डे लिस ने बताया है कि ये बच्चे अपने मूल अधिकारों से वंचित है। इन्हें स्वस्थ और सुरक्षित बचपन नहीं मिल पा रहा। अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां मौजूद बच्चों की दयनीय हालत पर यूनीसेफ ने चिंता जताई है।
हर्वे लुडोविक डे लिस ने कहा,’इस संकट के लिए सबसे कम जिम्मेदार बच्चे हैं और इन्हें ही सबसे अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है। काबुल में पिछले सप्ताह हुए आतंकी हमले में अनेकों बच्चों की मौत हो गई और कई जख्मी हैं।’ उन्होंने बताया कि बच्चे ऐसी जगहों पर रहने को मजबूर हैं जहां सूख के कारण पानी तक नहीं है। प्रतिनिधि ने आगे बताया, ‘इन मासूमों को जिंदगी बचाने वाली पोलियो समेत कई बीमारियों से जूझने के लिए वैक्सीन तक नहीं मिल पा रहा। अनेकों बच्चे कुपोषण के शिकार हैं।’ सोमवार सुबह संयुक्त राष्ट्र से मेडिकल दवाओं की खेप अफगानिस्तान पहुंची। तालिबान के कब्जे के बाद यह यूएन शिपमेंट की पहली खेप है।मजार-ए-शरीफ के उत्तरी एयरपोर्ट पर करीब 12.5 मीट्रिक टन सप्लाई पाकिस्तान सरकार की ओर से पहुंची है।
उल्लेखनीय है विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) देश में अधिक शिपमेंट पहुंचाने के लिए सहयोगियों से बात कर रहा है। एजेंसी ने बताया कि देश में बचे अफगानियों की जरूरतों की आपूर्ति का इंतजाम करना होगा। शरणार्थियों के लिए यूएन के हाई कमिश्नर फिलिप्पे ग्रांडी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की है।डब्ल्यूएचओ ने बताया कि शिपमेंट में पर्याप्त हेल्थ किट है जो दो लाख से अधिक लोगों की सहायता कर सकता है। साथ ही इस सप्लाई को तुरंत समूचे अफगानिस्तान के 29 प्रांतों में मौजूद 40 स्वास्थ्य सुविधाओं को मुहैया कराए जाने का इंतजाम किया जा रहा है। यह जानकारी यूएन एजेंसी ने दी।

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