नई दिल्ली। दो दशक बाद अफगानिस्तान में एक बार फिर तालिबान की सत्ता काबिज होने जा रही है। राष्ट्रपति अशरफ गनी समेत तमाम बड़े नेता देश छोड़कर भाग चुके हैं। आम जनता में वहां अफरा-तफरी का माहौल है। इस बीच तालिबान ने मुल्ला शीरीन को काबुल का नया गवर्नर घोषित कर दिया है। तालिबान ने कहा है कि वह अफगानिस्तान में खुली और समावेशी इस्लामी सरकार चाहता है। तालिबान के बयान पर लेखिका और फेमिनिस्ट तसलीमा नसरीन ने तंज कसते हुए कटाक्ष किया है। तसलीमा नसरीन ने अपने हैंडल से किए एक ट्वीट में कहा- ‘तालिबान ने कहा कि वे शरिया कानून के तहत महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करेंगे, लेकिन समस्या यह है कि शरिया कानून में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के लिए अधिकार व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है ही नहीं।’
इससे पहले तालिबान के प्रवक्ता मोहम्मद सोहेल ने कहा था कि अफगानिस्तान में महिलाओं को काम करने से नहीं रोका जा रहा है, लेकिन उन्हें हिजाब पहनना पड़ेगा। वे कहते हैं कि हम महिलाओं की शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं। हमने ने हर बार अपना स्टैंड साफ किया है। हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि महिलाएं हिजाब पहनें। अभी जो भी इलाके हमारे कंट्रोल में हैं, वहां पर लड़कियां स्कूल जा रही हैं, किसी को भी नहीं रोका गया है। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में शांति के नए युग का वादा किए जाने के बावजूद आम अफगानों के दिलों में क्रूर शासन की वापसी का डर घर करने लगा है। तमाम लोगों को डर है कि तालिबान उन सभी अधिकारों को समाप्त कर देगा जो पिछले करीब दो दशक में कड़ी मशक्कत से महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय ने हासिल किए थे। साथ ही पत्रकारों और गैर-सरकारी संगठनों के काम करने की आजादी पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

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